तुम हो एक सौदागर 
लुभाते अपने व्यक्तित्व से 
अनजाने में कभी कभी 
बातों को हवा  देते  
भावनाओं को उभार कर 
मन मस्तिष्क पर छाते गए 
फिर कहीं चले गए 
दर्द अजीब सा दे गए 
नाम ह्रदय पर लिख गए |
यही सब यदि करना था 
भुलाने की कोई विधि 
तो बता कर जाते 
या विस्मृति की 
दवा ही दे जाते |
कभी किसी बात को 
अधिक ही उछाल देते थे 
पर किसी ने न जाना 
कि तुम बेवफा थे |
तस्वीर जो दी तुमने 
चैन से जीने नहीं देती 
बहुत बेचैन करती है 
अतीत याद दिलाती है |
लोग तुमसे जोड़ कर 
मेरा नाम तक लेने  लगे
जाने क्यूं ऐसा कहने लगे |
याद तो उन्हें किया जाता है 
जो प्यार करते हों 
या इस दुनिया में
अपना नाम कर गए हों |
जी चाहता है 
कहीं तुम मिल जाओ 
मेरी भावनाओं को
फिर से रंग जाओ
इन्तजार न रहे
ऐसा कुछ कर जाओ |
कहां तक सोचूं तुम्हारे लिए 
कई ऋतुएं बीत गईं 
अब तो लगता है 
हर मौसम भी हरजाई |
आशा
 
