घर बनाया
जोड़े तिनके तिनके
हमराज खोजा
सोचते सोचते
रिश्ते जुड़े
कुछ खून के
कुछ बनाए हुए
उन्ही में खोते गए
खुद को भूल के
पर आज लगते
सब खोखले रिश्ते
ठेस पहुंचाते
कई सतही रिश्ते
जब पास होते
जला करते
दूर होते ही
शोशा उछालते
कटुता भर जाते मन
में
कभी जज्बाती
दुखी कभी कर जाते रिश्ते
होते कुछ कपूर से
तुरत जल जाते
तरल हुए बिना ही
बस अहसास छोड़ जाते
अपना होने का
रिश्ते तो रिश्ते ही
हैं
क्या सतही क्या गहरे
अलग अलग रंग लिए
कितनी दूर
कितने करीब
रिश्ते कठिन पहेली
से |
आशा