ताश के पत्तों सा 
महल सपनों का ढहा 
दिल छलनी हुआ 
जब बुलडोजर चला |
एक ही चिंता हुई 
जाने कहाँ जाएंगे 
कैसे समय निकालेंगे 
इस बेमौसम बरसात में |
कोई  मदद न काम आनी है 
सारे आश्वासन बेमानी हैं 
खुद को ही खोजना होगा 
 आशियाना सिर  छिपाने को  |
बस एक ही 
दया प्रभु ने पाली
दया प्रभु ने पाली
झोली रही न खाली 
कर्मठ हूँ 
साहस रखता हूँ|
साहस रखता हूँ|
हल समस्या का 
खोज सकता हूँ
खोज सकता हूँ
इसी लिए दुःख नहीं पालता 
अपनी लड़ाई खुद लड़ता हूँ |
आशा 

 
 


















