02 जुलाई, 2016

क्यूं न जताया

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क्यूं ना जताया आपने
माजऱा क्या है
ना ही बताया आपने
मेरी खता क्या है
यदि कोई कमी थी
इशारा तो किया होता
कुछ तो बताया होता
आखिर वह कमी क्या है
मैनें कोशिश की होती
उसे सुधारने की
सफल होता न होता
मैं नहीं जानता
ईश्वर की रजा क्या है |
आशा

30 जून, 2016

रूप गर्विता

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क्यूं हुई रूप गर्विता
मदमस्त नशे में चूर
गर्व से नजरें न मिलाती
जब से हुई मशहूर
माना है तू बहुत सुन्दर
पर ना जन्नत की हूर
है तू आम आदमी ही 
फिर क्यूं इतनी मगरूर
सब से दूर होने लगी है
आया क्यूं इतना गरूर
जिस दिन धरती पर 
 रखेगी  अपने कदम 
तभी सभी को जानेगी 
खुद को भी पहचानेगी
गरूर भूल जाएगी 
सब का दुलार पाएगी |


27 जून, 2016

अबला नारी बेचारी |

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अबला नारी बेचारी 
सबला  कभी ना हो पाई 
हर कोशिश असफल रही 
है अन्याय नहीं तो और क्या |
सीता ने दी अग्नि परीक्षा 
थी सचरित्र साबित करने को 
पर धोबी के कटाक्ष से 
धर से निष्कासित की गई |
यह तक नहीं सोचा गया 
बेचारी अबला कहाँ जाएगी 
कहाँ कहाँ भटकेगी 
किस का आश्रय लेगी|
दो पुत्रों को जन्म दिया 
किसी तरह पाला पोसा 
आखिर खुद से हारी 
धरती में समा गई |
द्रोपदी ने ब्याह रचाया अर्जुन से 
कुंती मां ने अनजाने में वस्तु समझ
कहा पाँचोंमें बाँट लो
वह पाँचों की पत्नी हो गई |
कितनी पीड़ा झेली होगी 
जब भरी सभा में धूत क्रीडा में 
 युधिष्ठर ने दाव पर उसे लगाया 
बाल पकड़ वहां ला 
उसका चीर हरण किया गया |
उसका आर्तनाद किसी ने न सुना
वह असहाय बिलखती रही  
मदद की गुहार लगाती रही
अबला थी वही रही |
आज भी सडकों पर
 अनेक  हादसे होते रहते 
आनेजानेवाले मूक दर्शक बने रहते 
नारी की अस्मिता लुट जाती 
वह अवला कुछ भी न कर पाती |
पुरुषों पर कोई न बंधन
रहते सदा स्वच्छंद
सारी  मर्यादा लक्ष्मण रेखा
केवल महिलाओं के  लिए |
कब अबला सबला होगी
किसी से हार न मानेगी
अपने निर्णय खुद लेगी
अपनी शक्ति पहचानेगी |
आशा






जब लिखा एक पत्र

पत्र लिख लिख फायदे के लिए चित्र परिणाम

कागज़ काले किये फाड़े
पूरी रात बीत गई
की हजार कोशिशें
कोई बात न बन पाई
एक पत्र न लिख पाई
इधर उधर से टोपा मारा
किया जुगाड़ लाइनों का
पर सोच न पाई
होगा क्या संबोधन
अनेक शब्द खोजे लिखे
पर एक भी रास नहीं आया
फिर आँखें बंद कर
उंगली से एक चुना
आँखें खोली उसे पढ़ा
वहां लिखा था my love
वही उसे भा गया
पत्र पूरा हो गया
फिर आदर्श मन पर  हावी हुआ
उस पत्र को जला दिया
गलती कभी न दोहराएगी
उसने खुद से वादा किया |
आशा

24 जून, 2016

हाईकू (एक प्रयास )

jahaan mile dharatee aur aasamaan के लिए चित्र परिणाम

१-
साथ दीखते
धरा और गगन
कभी न मिले |
२-
बनी रहती
सुख -दुःख में दूरी
पट न पाती |
३-
हैं एक साथ
कुम्भ में राजा -रंक
कोई न भेद |
४-
हर बात का
है स्वाद खट्टा- मीठा
जैसा सोच हो |
५-
जो चाहो पाओ
धर्म या अधर्म में
सभी मिलेगा
आशा |

22 जून, 2016

नाचता मयूर क्यूं



छम छम नाचे मयूर के लिए चित्र परिणाम
नाचते मयूर की
 मदमस्त हो गई चाल
फिर नयनों से बहते अश्रु से
 वह हुआ बेहाल
शायद अपने कुरूप पैर
 देख हुआ यह हाल
इतनी सी बात है
और मचाया उसने बबाल |
बात इतनी सी नहीं
 यह है वृहद् जाल
बादल देख वह चाहता
सान्निध्य प्रेयसी का
यह कुछ नया नहींहै
 प्रतीक्षा में बेहाल
यह कैसा विधान विधाता का
आने लगा ख्याल |
आशा

20 जून, 2016

पक्षी

koyal aur aam kaa ped के लिए चित्र परिणाम

आवाज सुन कर कोयल की
बागों में चले आये थे
गौर से जब ऊपर देखा
बौर आम पर आए थे
हिलती टहनियां देखीं
कोयल की कुहू कुहू सुनी
मौसम बदलने लगा है
पक्षी यही जताने आये थे |
मंद मंद बयार चली
मयूर की थिरकन बढी
देखी व्योम में काली घटाएं
वर्षा की संभावना जगी
अपने मधुर स्वर से मयूर ने
उसके आने  का आगाज किया |
पक्षी  सयाने संकेत देने आते
मौसम बदल रहा है
यही जताने आते |


आशा