होना ना मगरूर
देख कर चहरे पर नूर
तुम्हें दी है नियामत ईश्वर ने
यह न जाना भूल |
मोती की आव चेहरे का नूर
सब के नसीब में कहाँ
होते हैं दो चार ही
नवाजे गए पुरनूर इससे |
करो अभिमान अवश्य
इस अनमोल तोहफे पर
हिफाजत करो जी जान से इसकी
हैं वेश कीमती सब को नसीब कहाँ |
जन्नत की हूर का दर्जा
मिलता है नसीब से
सर ऊंचा हो जाता है
खुद का गरूर से |
आशा
देख कर चहरे पर नूर
तुम्हें दी है नियामत ईश्वर ने
यह न जाना भूल |
मोती की आव चेहरे का नूर
सब के नसीब में कहाँ
होते हैं दो चार ही
नवाजे गए पुरनूर इससे |
करो अभिमान अवश्य
इस अनमोल तोहफे पर
हिफाजत करो जी जान से इसकी
हैं वेश कीमती सब को नसीब कहाँ |
जन्नत की हूर का दर्जा
मिलता है नसीब से
सर ऊंचा हो जाता है
खुद का गरूर से |
आशा