नैना छलके
अश्रु बहने लगे द्रुत गति से
मन को लगी ठेस
उसके वार से|
कभी न सोचा था
किसी से प्यार किया
तब क्या होगा |
जब भी स्वीकृति चाही
मन की चाहत गहराई
इन्तजार में
जवाब नहीं पाया|
कारण जानना चाहा
ना में जवाब पाया
मन विब्हल हुआ
नैना छलके
अश्रु बह निकले
द्रुत गति से|
फिर से उफने हैं
बहती नदिया की
लहरों की तरह
खोज रहा हूँ कारण|
उसके इनकार का
और अधिक बलवती
हुई है चाहत
प्यार के इजहार की |
आशा