हूँ कितनी सक्षम
अपने आप में
जब बर्तोगे मुझे
तभी जान
पाओगे |
कहने सुनने की
आवश्यकता नहीं
खुद देखोगे तभी
निर्णय
ले पाओगे |
है कितना विश्वास
खुद पर मुझे
हूँ समर्थ मन से
किसी की आश्रितं नहीं मैं
यही विश्वास दिलाना
चाहती हूँ तुम्हें भी
अपनी क्षमता जान
कदम बढाए मैंने
किसी कार्य को करने से
भय भीत नहीं मैं |
हूँ आज की नारी
पहले सी कमजोर नहीं हूँ
अपने कर्तव्य व अधिकारों को
खूब समझती हूँ |
समाज के नियमों का
पालन करती हूँ
केवल अधिकारों की चाहत ही
नहीं
हैं प्रिय मुझे |
कर्तव्य ही सब से पहले
पूर्ण करती हूँ
किसी की रोकाटोकी
मुझे
नहीं भाती |
यही आदत मुझे
सब का बुरा बनाती
फिर भी अपनी सीमाएं
पहचानती हूँ |
हूँ आज के भारत की नारी
यही क्या कम है
किसी बैसाखी की
आवश्यकता नहीं मुझको |
किसी भी क्षेत्र में अपनी
सफलता सिद्ध कर सकती हूँ
अपना संरक्षण खुद
कर सकती हूँ |
आशा