01 जुलाई, 2023

कुछ नया दिखता



 हर रात  कुछ नया दिखता

कौन है जिम्मेदार उसका

हम तुम के झंझट में

 बातों का अखाड़ा दिखता |

किसी ने दो बोल मीठे तो बोले होते

हम निहाल हो जाते उस पर

कभी ना उलझने की कसम खाते

प्यार से रहने का वादा करते |

सपने दिन में ना आते

आधी रात में ना जागते

चोंक कर ना उठते

शांती से सोते जागते |

एक कल्पना यही की होती

तुम हो मेरे पास जज्बातों से भरी

यही है मेरे मन में

यहीं कहीं तो तुम हो मेरे पास  |

आशा 

30 जून, 2023

हाईकू

१-बाली उमर  

यौवन आया नहीं 

बचपना है 

२-नवनीत है 

खाने को निभाने को 

मित्रता यहाँ 

३-तेरा मेरा क्यों 

कब से किस लिए

 क्या यही सीखा 

४-जन्नत यहाँ 

तुझ में ही खोजता 

मेरे  मन में 

५- तेरे नाम से 

कुछ  लाभ लिया है 

किसीने यही 

आशा सक्सेना


29 जून, 2023

कब जानना चाहा

 

कब जानना चाहा 

तुम्हारे मन में क्या है

यदि बता दिया होता

तुम्हारी सलाह में कुछ तो  दम होता  |

सारी दुनिया से अलग थलग रह

अपनी दुनिया को बसाया यहाँ

क्या यही बात तुमको ना भाई

कि मैंने भी दिखावा किया |

यह सच नहीं है

दिखावे का कोई रोल नहीं यहाँ

हर व्यक्ति के वास्तविक जीवन में

जब खोज पूरी हुई रंगीन जीवन हुआ |

मन को सुकून आया

 महक में इसकी डूब कर |

, खुशी का कोई मोल नहीं है

वह है  अनमोल

बड़े कष्ट से पाया है मैंने

अब तक सम्हाल कर रखा इसे

यही है मेरी संचित पूंजी  

सब ने खुशबू को दूर से पहचाना है|

आशा सक्सेना

नया शहर


अनजान डगर नया शहर

पैर कांपे थर थराए  

पर हिम्मत से काम लिया

सारे विघ्न हटाए एक तरफ |

किसी से कब तक डर कर रहते

अपने अरमां जो  सजाए मैंने

तब किसी से पूंछा नहीं था

अब दुःख हुआ अपने सोच  पर |

सुख जब आया दुःख भूले

आगे  बढ़ने की चाह में

अपनी हिम्मत पर भरोसा किया

 तुमसे भी सलाह ली मैंने |

अब कुछ हल्का है मन

सही राह मिल गई  है

है लंबा रास्ता पर

 थके नहीं हैं अब तक |

यही उत्साह यदि कायम रहा

मुझे कोई हरा ना  सकेगा

नया शहर रास आया है

यही क्या लाभ नहीं मुझे |

मैंने जो किया तन मन से किया

ईश्वर भी सहायक हुआ हर पल

उसने दर्शाई दया द्रष्टि

तभी सफलता का मुंह देख पाई  |

आशा 

28 जून, 2023

वन के राम तपस्वी राजा

वन के राम तपस्वी राजा
 भरत अवध के राज कुमार 
जब सुना राम ने
 भरत और माताएं मिलने आरहे हैं
 सारी वीथियाँ साफ करवाईं
 कहीं काँटा ना लग जाए मेरे भाई को
 उसे मार्ग में कष्ट ना हो 
 उसने पालन किया 
पिता की आज्ञा का ली
 खडाऊं रखा उन्हें सिंहासन पर
 दिया आदर सन्मान उनको
 जब तक भाई है वन में
 यही उसका ठौर है 
आदेश यही जब राम यहाँ आएँ
 उनकी अमानत उन्हें लौटाऊँगा
 यही संकल्प लिया भरत ने
 यह छोटा सा भाग रामायण का
 बहुत सुन्दर लगता
 बहुत प्रेरणा देता है
 यह भाई के प्रेम की सुन्दर मिसाल |

जीवन के रूप अलग से दिखाई देते

हंसना रोना खिलखिलाना
 है बहाना जिन्दगी जीने का
 यह गुण आए कहाँ से आए
 किसी ने नहीं कबूले 
 यह ज्ञान दिया किसने 
 सब ने कहा हमने नहीं
 पर आसमान से ना आई
 हँसी,खुशी और रंगीन तबियत 
 यहीं की उपज है मित्र बनाना
 अपनी अक्ल की दाद देना
 सारा यश अपने को देना 
फिर सब को उपदेश देना
 | उसने भी कुछ लिया दिया
  धन्यवाद तक ना किया
 मुझे दुःख इसी बात का हुआ
क्या   मैंने की थी बचकानी हरकत | 
 

27 जून, 2023

कण कण में शिव शंकर


 

कंकड़ कंकड़ में शिव शंकर

 रहा उनका घर भव् सागर में  

मन ने जो कुछ सोचा

एक दम सही सोचा |

वे हमारे इतने नजदीक

जब याद किया उनको

वे चले आए क्षणों के अंदर

उनने पूरे किये अपने किये वादे को |

निभाया अपना प्रेम मानव के लिए

दी सही सलाह सब को

जो उनसे था अपेक्षित

यही सब कहते हर कंकर में शिव शंकर |

जब शिव जी भव सागर में में घूमें

सुख दुःख देखा सब का

सरल चित्त होने से

किसी को ना  दिया श्राप

क्षमा यहाँ रहने वालों को किया

केवल सहायक हुए यहाँ

लोगों के कष्टों को मिटाने में  

तभी कहलाते कण कण में शंकर बसे हैं

सब की पीड़ा हर लेते हैं 

हैं दया के स्वामी  यही है विशेष शंकर में |