18 मार्च, 2013

होली न सुहाय



ना कर जोरा जोरी सांवरे
छोटा लालन रोवत है
भए लाल गाल गुलाल से
नन्हां देवरिया डरपत है |
मैं तेरे रंग में रंगी
भीगी चूनर सारी
फिर काहे की जोरा जोरी
ना कर मुझ से बरजोरी |
जाड़ा लगत
तन थर थर कांपत
मैं रंग में ऐसी रंगी
गहरे रंग छूटत नाहीं  |
है प्यार भरी अनुनय मेरी
 छींटे ही नीके लागत  हैं
ऐसी होली मोहे ना भावे
तेरा रंग ही काफी है |
तेरा रंग चढा ऐसा
बाकी रंग लागत फीके
उस के आगे कछु न भाए
मोहे  ऐसी होली न सुहाय |
आशा

17 मार्च, 2013

वे अबहूँ न आये

काटे न कटें रतियाँ ,वे अबहूँ न आए |
 बाट  निहारूं द्वार खडी,विचलित मन हो जाय ||
भूली सारे राग रंग ,कोई रंग न भाय |
पिया का रंग ऐसा चढा ,उस में रंगती जाय||
सब अधूरा सा लगता ,उन बिन रहा न जाय |
सब ठिठोली भूल गयी ,होली नहीं सुहाय ||

रातें जस तस कट गईं  ,पर दिन कट ना पाय |
बेचैनी बढ़ती गयी ,नयना छलकत जाय ||


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15 मार्च, 2013

दिग्भ्रमित

बड़ा शहर ऊंची इमारातें
शान से सर ऊंचा किये 
आसमान से बातें करतीं 
अपने ऊपर गर्व करतीं |
दूर  से वह निहारती
ऊँचाई और बुलंदी उनकी 
तोलती खुद को उनसे 
कहीं कम तो नहीं सबसे |
खुद को सब से ऊपर पा 
गुमान से भर उठती 
प्रसन्नवदना उड़ती फिरती 
बंधन विहीन  आकाश में |
दिग्भ्रमित होती जब भी 
खोज ही लेती सही राह
और खो जाती फिर से 
स्वप्नों की दुनिया में|
खुद का अस्तित्व खोजने में 
 ठोस धरातल पर जैसे ही 
धरती अपने कदम 
सारे स्वप्न बिखर जाते |
उनका विखंडन 
बिखरे अंशों का आकलन 
पश्चाताप से दुखित मन 
उसे कहीं का न छोड़ता 
जीवन का सत्व स्पष्ट होता 
आशा


12 मार्च, 2013

सफलता के पीछे

हर सफलता के पीछे 
कुछ तो छिपा है 
हाथ है किसी का
 या है साथ 
भीनी भीनी सी 
खुशबू किसी की 
अक्स या  अहसास 
है ऐसा अवश्य कोई
जो सब से छिपा है |
वह अदृश्य  
अनाम रह कर 
सींचता पौधे को
सहारा देता उसे 
जड़ें मजबूत होने तक |
है इहलोक बासी
या किसीअन्य लोक से
पर है अवश्य 
उसका हिताभिलाषी 
बिना किसी प्रलोभन के 
जीवन के हर मोड़ पर
साथ खडा है|
आशा

10 मार्च, 2013

कर भरोसा अपने पर

कर भरोसा अपने पर
रहता है क्यूं बुझा बुझा 
क्यूं आज की चिंता करता है 
आज का दौर है  कठिन पर 
कल सुधरेगा दिल कहता है |
तेरी उदासी दुखित करती 
मन उद्वेलित करती 
महंगाई की जटिल समस्या 
मुंह बाए खड़ी दीखती
 छाई रहती दिल दिमाग पर
तपती धुप सी लगती |
तू अधीर नहीं होना 
आपा अपना ना खोना 
वर्त्तमान तो बीत जाएगा 
कल सुधरेगा दिल कहता है |
कठिन परिश्रम की कुंजी हो तो
जटिल समस्या हल होगी
पुरसुकून जिन्दगी होगी 
समय बदलेगा दिल कहता है |
तू वर्त्तमान में जीता है 
तभी दुखित होता है 
जब आशा का दामन थामेगा 
बदलाव समय में होगा
तू सबसे आगे होगा 
कल बदलेगा दिल कहता है |
आशा

07 मार्च, 2013

मां से

तेरी एक निगाह ही काफी थी
गलत कदम रोकने को
 तब तुझे कभी  न समझा
दुश्मन  सी लगती थी |
दूर रही अक्सर तुझसे
तेरी ममता ना जानी
याद्र रहा तेरा अनुशासन
प्यार की उष्मा ना जानी |
 अब छोटी बड़ी घटनाएं
मन व्यथित करतीं
 हर पल याद तेरी आती
मन चंचल करती|
तेरी सारी  वर्जनाएं
जो कभी बुरी  लगती थीं
वही आज रामवाण दवा सी
अति आवश्यक  लगतीं |
कितने कष्ट सहे होंगे माँ
मुझे बड़ा करने में
तुझसे ही है वजूद मेरा
अब मैंने जाना  |
 कभी कोई शिकवा न शिकायत
आई तेरे चेहरे पर
तूने मुझे लायक बनाया
क्यूं न करू गर्व उस पर |
जब अधिक व्यस्त होती हूँ
बच्चों की नादानी पर
उनके शोर शराबे पर
बहुत क्रुद्ध होती हूँ |
 मन के शांत होते ही
तेरा शांत सौम्य मुखमंडल
निगाहों में घूम जाता है
सोचती हूँ माँ तुझ जैसा धैर्य
मुझ में क्यूं नहीं  ?
मैंने बहुत कुछ पाया
पर तुझ जेसे गुण नहीं|
आशा 











06 मार्च, 2013

अहसास

अहसासों की दुनिया
लगती सब से भिन्न
है जीवन का  हिस्सा अभिन्न
मन में भरती   रंग
जब भी मनोभाव टकराते
जोर का शोर होता
अधिकाधिक कम्पन होता
अस्तित्व समूचा  हिलता
मन में तिक्तता भरता
तब कलरव नहीं भाता
कर्ण कटु लगता
विचार छिन्न भिन्न होते
एकाग्रता को डस लेते
यदा कदा  जब भी
कोइ अहसास होता
बीता पल याद दिलाता
 वे यादें जगाता
जब थे सब नए
नया घर वर नए लोग
बर्ताव भी अलग सा
था निभाना सब से
था कठिन परिक्षा सा
वह समय भी बीत गया
कोमल भावों से भरा घट
जाने कब का रीत गया
कठिन डगर पर चल कर
जितने भी अनुभव हुए
एक ही बात समझ में आई
है यथार्थ  ही सत्य
यही पल मेरा अपना
यहीं मुझे जीना है
निस्पृह हो कर रहना है |

आशा