23 नवंबर, 2013

मतदाता





यूं तो है अंगूठाटेक
पर सजग सचेत
दुनिया किधर जा रही है
हर नब्ज परखता है
हर कदम पहचानता  है
जानता है महत्व  वोट का
है वह भाग्य विधाता
नेता जी के भविष्य का
उत्सुक भी है कब
मशीन में बंद भाग्य
 नेता का होगा
जो भी नेता आता है
खुद को मददगार बताता
झुक झुक कर प्रणाम करता
फिर खोलता पिटारा वादों का
पर आज का मतदाता 
भ्रम नहीं पालता
तत्काल मांगे पूरी हों
यह लिखित में चाहता
आज जो भी मिल रहा है
पूरा उपभोग उसका करता
कल की क्यूं फिक्र करे
वह बदला लेना जान गया है
होगा कल क्या पहचान गया है |
आशा

21 नवंबर, 2013

प्रत्याशी






भीड़ तंत्र का एक भाग
घूम घूम करता प्रचार
पूर्ण शक्ति झोंक देता
चुनाव जीतने के लिए |
है वह आज का नेता
आज ही उतरा सड़क पर
लोगों से भेट करने
बड़ी बड़ी बातें करने |
वह थकता नहीं सभाओं में 
प्रतिपक्ष की पोल बता
झूठे वादे करते
अपनी उपलब्धियां गिनवाते |
है केवल एक ही चिंता उसे
जितनी पूंजी झोंक रहा है
अगले पांच वर्ष में
 कैसे चौगुनी होगी |
कुर्सी से चिपके रहने की युक्ति
देशहित को परे हटाती  
वह खोज रहा अपना भविष्य
आने वाले कल में |
आशा






18 नवंबर, 2013

क्षणिकाएं

शुभ घड़ी शुभ दिन 
शुभ वर्ष की बातें करते हो 
जो भी अशुभ हो रहा 
नजरअंदाज करते हो 
निश्प्रह क्यूं नहीं रहते 
क्यूं दुभांत करते हो |
(२)
प्यार का कोई मोहताज नहीं होता 
वह स्वयं ही उपजता है 
अपनीउपस्थिति दर्ज करा कर
फिर तिरोहित हो जाता है |
(३)
है वही सफल 
शिखर तक पहुँचने में 
जो है निर्भय निडर 
हलके से धक्के से 
नहीं जाता बिखर |


16 नवंबर, 2013

जन्नत यहीं है


बढ़ती ठण्ड छाई धुंध
कुछ नजर नहीं आता
इंतज़ार धूप का होता
लो छट गया कोहरा
खिली सुनहरी  धूप
 झील में शिकारे
जल में अक्स उनके
साथ साथ चलते
 मोल भाव करते
तोहफे खरीदते
सुकून का अहसास लिए
प्रसन्न वदन  घूमते
आनंद नौका बिहार का लेते
मृदुभाषी सरल चित्त
तत्पर सहायता के लिए
जातपात से दूर यहाँ
इंसानियत से भरपूर
जमीन से जुड़े लोग
सोचने को बाध्य करते
जैसा सौन्दर्य प्रकृति का
बर्फीली पहाड़ी चोटियाँ का
वैसा सा ही रूप दीखता
यहाँ के रहवासियों का
झील शिकारे हरियाली
मन कहता रुको ठहरो
शायद जन्नत यहीं है
यहीं है ,यहीं है |

12 नवंबर, 2013

यंत्र अबोला


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खोजा एक यंत्र अबोला
जो सच्चाई परखता
जिव्हा के तरकश से निकले
शब्द वाण पहचान लेता |
सोचा न था वह ऐसा होगा
मनोभाव तोलेगा
सच झूठ पहचान लेगा
मापक प्यार का होगा |
उसमें एक बिंदु सच का है
दूजा झूठ दर्शाता
मध्यम मार्ग कोई  ना होता
सच सामने आता |
फिर भी एक कमी रह गयी
तीव्रता सच या झूठ की
यह दर्शा नहीं पाता
आकलन उसका कर नहीं पाता |
तब भी वास्तविकता नहीं छुपती
वह जान ही लेता है
दूध को दूध
 पानी को पानी बताता |
एक आम व्यक्ति के लिए
मन की अभिव्यक्ति के लिए
सत्य या झूठ को
उजागर करने के लिए
इस अबोले यंत्र का
है महत्त्व कितना
आज जान पाया |
आशा

08 नवंबर, 2013

छिड़ी चुनावी जंग

छिड़ी चुनावी जंग 
नित्य  नए प्रसंग 
देखने सुनाने को मिलते 
शान्ति भंग करते 
वारों पर वार तीखे प्रहार 
कम होने का नाम न लेते 
टिकिटों की मारामारी
 ऐसी कभी देखी न थी
मिले न मिले
पर जान इतनी सस्ती न थी
टिकिट ना मिला तो जान गवाई 
यह तक न सोचा 
क्या यह इसका कोई हल है ?
जीवन इतना सस्ता है
 सब्जबाग दिखाए जाते
मन मोहक इरादों के 
पर जनता भूल नहीं पाती 
उनकीअसली चालाकी 
वे बस अभी दिखाई देगें 
फिर  पांच वर्ष दर्शन ना देगें 
वादों का क्या ?
उन्हें कौन पूर्ण करता है 
अभी गरज है उनकी 
कैसी शर्म घर घर जाने में 
आगे तो ऐश करना है 
केवल अपना घर भरना है |







06 नवंबर, 2013

रात की तन्हाई में

रात की तन्हाई में 
बारात यादों की आई है 
मुदित मन बारम्बार 
होना चाहता मुखर 
या डूबना चाहता 
उन लम्हों की गहराई में 
विचार अधिक हावी होते 
पहुंचाते अतीत के गलियारे में 
आँखें नम होती जातीं
केनवास से झांकते
यादों के चित्रों की
 हर खुशी हर गम में 
चाहती हूँ हर उस पल को जीना 
उसमें ही खोए रहना |
जो सुकून मिलता है इससे 
लगता है रात ठहर जाए 
मैं उन्हीं पलों में जियूं 
कभी दूर न हो पाऊँ |
आशा