एक दिन दो मित्र
खड़े चौराहे पर
बातें करते करते
न जाने क्यों जोश में आ
बहस पर उतारू हुए
शर्त तक लगा बैठे
दोनो और से शब्द वाण चले
थी वर्षा तीरों की ऐसी
तमाशबीन आस पास के
जम कर मजा लेने लगे
कुछ थे अति उत्साही
कि बीच में कूदे
फिर क्या था
तर्क कुतर्क
ने सीमा लांघी
शर्त भी घायल हुई
विवाद इस हद तक बढ़ा
जोर से पैरों की ठोकर लगी
शर्त दबी जमीन में
लोग यह तक भूले
किस बात को ले कर
शर्त लगाई गई कि
स्थिति ऐसी बेकाबू हुई |
आशा