22 नवंबर, 2019
21 नवंबर, 2019
बधाई
बधाई
जब पहला
कदम रखा दुनिया में
ख़ुशी चारो ओर
फैली
पहला शब्द
माँ कहा मौसी हुई निहाल
क्यूँ न
चूम लूं तुम्हें
तुमसी बिटिया पा कर
दी बधाई तुम्हारी जननी को
दिन प्रति
दिन प्रगति हुई
ठुमक ठुमक चलना सीखा
दौड़ती
फिरती आँगन में
सतरंगी फ्राक पहन कर
गोल गोल घूमती
एक उंगली
का नृत्य दिखाती
माँ लेती
उसकी बलाएं
सब देते
बधाई देख तुम्हारी चतुराई
कोई
प्यारी बहना कहता कोई दुलारी बिटिया
पहला दिन
स्कूल जाने का
नया परिधान सिलवाया
नया परिधान सिलवाया
नया बस्ता नई पट्टी कॉपी किताब पेन्सिल
जाने से पहले माँ ने
टीका लगा भगवान से दुआ मांगी
बाक़ी सब
ने दी बधाई
नए स्कूल में जाने के लिए
थकी हारी
शाला से लौटी
सब ने पूंछा हाल
बातें बढ़
चढ़ कर सुनाई
पट्टीपूजन
के बाद पहला अक्षर “अ”
जो लिखा
था वही सब को दिखलाया
देते रहे
सब बधाई
बिटिया ने क्या कुशाग्र बुद्धि पाई |
आशा
16 नवंबर, 2019
शौल ख्यालों का
ख्यालों को बुन कर शब्दों में
एक दुशाला बनाया है मैंने
बड़ें जतन से उसे मन के
बक्से में सहेजा मैंने |
जब भी दिल चाहता ओढ़ने का उसे
बहुत प्यार से निकालती हूँ
कुछ काल तक पहन कर
तह करके रखती हूँ मैं |
यह भी चिंता रहती है
कहीं कट पिट ना जाए
कहीं रंग ना खो जाए विवर्ण ना हो जाए
फिर से उसे नया रंग दिलवा कर
जब भी घारण करती हूँ
उनमें दुगनी चमक आ जाती है
नए ख़याल शामिल हो जाते हैं |
आशा
आशा
14 नवंबर, 2019
अपनी क्षमता जान
बाल दिवस के अवसर पर -
काम बड़ा न छोटा कोई
काम बड़ा न छोटा कोई
काम तो बस काम है
काम को ऐसे न टालो
जीवन में इसे उतारलो
है यह प्रमुख अंग जीवन का
जिसके बिना
वह रह जाता अधूरा
एक विकलांग प्राणी सा
मानव जीवन
कार्य से ही पूर्ण होता
व्यस्त सदा बना रहता
कार्य यदि उपयोगी होता
जीवन सफल हो पाता
उससे मिली प्रशंसा से
वह पूर्णता को प्राप्त होता
और सकारथ हो
पाता |
आशा
आशा
13 नवंबर, 2019
आहट तेरे आने की
द्वार पर तेरी आहट को
पहचानती हूँ मै
तुझे अपना मान
मेने भूल नहीं की है |
खोई रहती हूँ
तेरी यादों की दुनिया में
तुझे पा कर मैंने
कोई गलती नहीं की है|
है नन्हीं सी जान
अदाओं की टोकरी
तेरे हर कदम की आहट
पहचानती हूँ मैं |
पल भर दूर रह नहीं सकती
तेरी निगाहों का आकर्षण
है ही ऐसा कि उनमें
खोए रहने को रहती हूँ बेकल |
हर हरकत तेरी
पहचान गई हूँ मैं
तेरी चंचल अदाओं पर न्योछावर
तुझे ठीक से जान गई हूँ मैं |
आशा
आशा
10 नवंबर, 2019
कभी सोचा नहीं
मैंने कभी सोचा नहीं
खुद के बारे में
समय ही नहीं मिला
सब का कार्य करने में |
जिन्दगी हुई बोझ अब तो
चन्द घड़ियाँ रही शेष
अकर्मण्य हुई अब तो
अब सोचना है व्यर्थ |
अब जीती हूँ
पुरानी यादे सहेजे
अभी भी खाली नहीं हूँ |
सोचकर देखा है बहुत
पर कोई फर्क नहीं पड़ता
किसी को जताने में
कि मेरा समय ही
मेरी उपलब्धि है |
आशा
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