यदि प्यार से पुकारो
दौड़े चले आएँगे
नफरत से कोई रिश्ता नहीं
है
ना ही लगाव हमारा |
जिसने भी आधात किया
पलटवार से होता स्वागत
बिना बात यदि रार बढ़ाई
सुकून कहीं खो जाता |
आपसी मतभेद से दुखी कर
खुद भी सुखी न रह पाएगा
हमने किसी से रार नहीं ठानी
ना किसी बात को तूल
दिया है
ना किसी के मन को दुःखी किया है |
अपने प्यार को अन्धकार में रखना
है कहाँ का न्याय?
मेरी समझ से है
परे
इन झमेलों से खुद को अलग रखा है
खुद को बचा के रखा है |
स्वयं पर है भरोसा इतना
चाहे कितना भी हो
प्रलोभन
कोई हमारे मन को
फुसला नहीं सकता |
सच्चा बन कर बहका नहीं सकता
कोई भी उपहार या प्रलोभन
मेरी मन
के लोभ को जगा नहीं पाया
अपना गुलाम मुझे बना नहीं पाया |
तेरा प्यार ही है एक
उसके आगे मुझे कुछ नहीं सूझता
उसने मन को भरमाया है
उसको सच्चे दिल से अपनाया है |
आशा