19 जनवरी, 2023

कायनात वैविध्य लिए


                                                           है वैविध्य लिए कायनात 

पग पग में कुछ नया लिए 

ईश्वर ने रचा यह  संसार 

अद्भुद है किसी से समानता नहीं |

पर एक विशेषता सब में है 

आपस में है  ताल मेल इतना 

सभी यहाँ मिलजुल कर रहते 

बैमिनस्य से दूर रह कर |

|जब भी तकरार किसी में होती

कोई  मध्यस्त रहता सुलह के लिए 

बीच बचाव के किये  यही क्या कम है 

जब भी एक हो जाते चहकते रहते उम्र भर |

सब एक दूसते पर होते आश्रित

 यह दूसरी विशेषता है  सब में 

यह संसार यूँ ही चलता रहता 

ईश्वर के आश्रय में सक्रीय्रा रहता |

कोई कायनात ऎसी न देखी होगी जहां 

आभा  धरती पर  बिखरी होती चारों ओर

चन्दा और तारों की चमकीली ओढनी

 रात में लिपटी होती चारों ओर से ||

और सुबह आदित्य ने ऊर्जा से गोद भरी 

 धरा   हरी भरी दीखती  सजीव हर कौने से 

सुन्दरता उसके जैसी  कहीं नहीं होती 

यही है करिश्मा इस कायनात का |


आशा सक्सेना 


18 जनवरी, 2023

सच्चा मोती


                                                  सागर में सीपी ,सीपी में मोती

जिस मोती  में आव होती 

यही तो उसकी है  पहचान 

जो सब में नहीं रहती |

कुछ ही ऐसे मोती  होते 

जिन में आव स्थाई रहती

यही स्थाईत्व बहुत कम

जिन मोतियों में रहता वे ही सच्चे होते |

उन जैसी कुछ महिलाए ऎसी होतीं

 जिनके मुख मंडल पर गजब की आव होती 

 वे अलग ही नजर आतीं होतीं

 सब से अलग होतीं दूर से ही पहचानी जातीं

यही आव  उनकी पहचान होती

 मन से सच्ची विचारवान होतीं 

होतीं आचरण में शुद्ध सात्विक 

यही उनकी विशेषता होती | 

 

आशा सक्सेना 

15 जनवरी, 2023

हाईकू



१-कविता कैसी 

 मन मोहती रही

    वे सराहते 

२-श्याम विहारी

 मोहन बंसी वाले

हो श्याम तुम्ही

३-मुरली धुन

पर राधा नाचती

श्याम के संग

४-किससे कहूं

मुझे प्यारे लगते

मन मोहन

५-पवन पुत्र

हनुमान जी यहीं

वास  करते

६-पुन्य प्रताप

पाया मैंने राम  से

हरी राम से

७-किसने कहा  

तुम कण कण में

नहीं रहते


आशा सक्सेना 

13 जनवरी, 2023

काम जब ठीक से न बटा हो

 




कितनी सीमित सारी जानकारी मिली  

मन ने भी बार बार टोका

 किसके लिए  किसने काम सोपा

जानने  को  आवश्यक न समझा |

सब कार्यों की  न जान कारी मिली

 उसे दूर रखा गया सब से

कारण तक न बताया गया

या उसे धर का सदस्य ना समझा |

यह समस्या तभी उत्पन्न होती

जब तीन पांच  का राज्य होता

 सब देते दोष एक दूसरे को

 शिकायत करते आपस में युद्ध करते |

मन का विक्षोभ इतना बढ़ता कि

किसी कार्य में चित्त न लगता

इसी लिए कहना पड़ता अपना अपना

काम  करो और घर जाओ |

घर का माहोल न बिगाड़ो

आपस में झगड़ने से क्या लाभ होगा

कभी अवसर भी देखा करो

तुम बच्चे जैसा न लड़ा करो |

आशा सक्सेना 

 

 

 

11 जनवरी, 2023

आज मौसम कितना सुहाना

 

                                                आज   मौसम कितना सुहाना है 

सर्दी सुबह  है गर्मी दोपहर में 

शाम को फिर वही 

मौसम आ जाना है |

बाहर जाने का 

सैर सपाटे का मन है 

काश हम भी

 सैर सपाटा कर पाते |

मन में तो अरमान न  बचे रहते  

खूब आनन्द मनाते 

  यह न रहता कि

 हमने सैर नहीं  की |

अपने अरमान सजाते गाते गुनगुनाते

दूर जंगल में निकल जाते 

मोर संग नाचते 

चिड़ियों संग ऊपर आसमान में उड़ते   |

 छत पर जा रंगीन पतंग 

संग पैच लड़ाते 

काटा है  ,काटा है कह

 चिल्लाते  खुशी मनाते   

 धूप निकल आती कठिन होता

 पतंग बाजी करना |

माँ के पास जाकर  बहुत

 प्यार से गुड़ तिल खाते 

अपने मित्रों के घर भी जाते

 सभी बड़ों के पैर छूते |

जब कोई आशीष देता

 मन में गर्व का  अनुभव करते 

मकर संक्रांति का दिन कैसे कटता

 यह भी भूल जाते |
दिन  में पतंग बाजी कर

 इतने थक जाते

कहाँ सोएं यह तक याद नहीं रहता 

 खाना खाना ही भूल जाते |

आशा सक्सेना 



10 जनवरी, 2023

हाइकू

 

 



1-जीवन जियो 
खुश हाल रहोगे 
अपेक्षा यही 

२-प्यार करोगे 
तुम्हें वही मिलेगा 
स्नेह तुमको 

३-मौसम प्रिये
 खुश रंग हुआ है
आजाओ चलें 

४-गीत संगीत
मन को मोहरा है 
आकर्षक है 

५-प्यार तुम्हारा 
चाहत मेरी नहीं 
जाने दो मुझे 

६-प्रक्रति तेरी 
मुझ जैसी नहीं है
 मैं  जुदा रही 

७-मुझे गर्व है 
अपनी भाषा पर 
है यही हिन्दी 

८-मुझे नाज है 
मेरी  मात्र भाषा  है 
मीठी मधुर 

९-हिन्दी मधुर 
भाषा की सरमौर 
अच्छी लगती



आशा सक्सेना  

09 जनवरी, 2023

ख्याल मेरा तुम्हारा

 


ख्याल मेरा तुम्हारा है एक जैसा

यह तो ध्यान न दिया मैंने

पर जब तुम में परिवर्तन देखा

जब बहुत इसरार किया मैंने |

सोचा जैसा मैं सोचती हूँ

तुमने भी वही सोचा होगा

मैंने तुम्हारा अनुकरण किया

तुमने  भी वही किया होगा |

मुझे ठेस लगी यह जानकर  

 परिवर्तन तुम्हारा  देख कर

पर देख कर भी अनदेखा किया

फिर भी मन से नहीं |

यह मुझे भली न लगी क्लेश देने वाली  

 बेचैन किये रही कितने दिनों तक  

 किस से कहती मैंने भूल की तुम्हें आंकने में

 अब मेरे जैसे नहीं रहे यह किसे बताती | 

आशा सक्सेना