04 फ़रवरी, 2023

तुमने जिसे कहा था गुलाब

 


अपने सपनों को सजाया मैंने

इस ख्याल से तुमने जिसे कहा था गुलाब प्यार से |

किसी के प्यार को महत्त्व दिया तुमने

हमें न सही,  यही क्या कम है

मन  को सम्हाला था  मैंने बड़े विश्वास  से |

तुमने मुझे न अपनाया मन से यहीं मैं गलत थी

तभी रही बेकरार तुम्हारे इंतज़ार में

भ्रम मेरा टूटा जब सत्य से दो चार हुई

 प्यार तुम्हारा देख  किसी के साथ में   |

सत्य का सामना करने की भी ताकत नहीं थी मुझमें

मन को विक्षोभ हुआ मेरे |

 मैंने तुम्हारे प्यार  को अलग दृष्टि से देखा था

मैंने यही गलत किया था |

यदि अपनी सोच सही रखती सदा जमीन पर रहती

 मुझे यह दिन  देखना नहीं पड़ता |

मन को मलाल न होता  यदि सोचा होता दिमाग से  

या कहा अपनों  का मान  लिया होता |

अब ऐसी गलती दोबारा न करूँ यही है चाह मेरी

अंतर सच और झूट का  जान लेती  मैं भी  |

आशा सक्सेना 

03 फ़रवरी, 2023

यदि सच्चे दिल से चाहो

 


तुमने की आराधना जब मन से

वह  कृपावन्त हुआ तुम पर  

पर फल की आशा न की जब

अति प्रसन्न हुआ  |

मेरे मन ने यह माना

बिना  मांगे मोती मिले

मांगे मिले न भीख 

जो सोचो सच्चे मन से चाहो  

प्रभु की नजर पड़ जाए अगर   

वह  हाथ बढ़ाना चाहे

यदि दृढ़ आस्था रही तुम्हारे मन में |

तुम मन से सच्चे रहो  

कोई कमी नहीं छोड़ी तुमने

हुई  कृपा ईश्वर की  तुम पर  

यही दिया तुम्हें खुले हाथ से उसने |

अपना हक़ न समझो इसे तुम

यदि जो मिला उस पर गर्व किया  

यही तुम्हारी भूल समझ

पहली गलती मान  क्षमा किया तुमको |

कभी करना नहीं गुमान अपनी प्राप्ती पर

इशारे से समझ लेना भूल को

तभी सफल रहोगे जब याद करोगे बिना प्रलोभन 

प्रभु भी जानता है तुम्हारी मांग को |

 वह  भी परिक्षा ले रहा तुम्हारी 

तुम भी अनजाने में उसे याद करते हो दिल से

किसी का बुरा नहीं चाहते

यही विशेषता है तुममें |

तुम हो उसकी पहली पसंद

है वह  मोहित तुम पर

तुम्हारा व्यवहार है सब से जुदा

हो सब से भिन्न सफल रहो जीवन में |

आशा सक्सेना    

02 फ़रवरी, 2023

चांदनी रात में जंगल में विचरण


 

दिन बीता सूर्य की तीव्रता  मंद हुई

सूर्य की तीव्रता में विखराव आया

आदित्य पीतल की थाली सा दिखा

धीरे धीरे अस्ताचल को जा पहुंचा |

पेड़ों के पीछे छिपा पर दृश्य आकर्षक हुआ

चन्दा आसमान में चमका तारों के संग

रात के आने की प्रतीक्षा रही उसे  

वायु बेग भी कम हुआ उसकी गति धीमीं हुई |

वह छवि बार बार मुझे आकृष्ट करती

उस दृश्य को भी  प्रतीक्षा थी हमारे आने की

रात्री जागरण जंगल में करने की

जंगल में मंगल मनाने  की |

समय कब कटा मालूम ही नहीं पड़ा

उस नज़ारे का आनंद उठाने की  

हमने भी यत्न किया खुले आसमान में जाने का

चांदनी रात का आनन्द लेने का

तारों को आसमान में विचरण करते देखने का | 

कोई तारा छोटी पूंछ लिए था

 उसको पुच्छल तारा  कहा 

आकाश गंगा में तारों की भरमार देखी

कभी तारों को गिनने की कोशिश की

पर असंभव को संभव कर न सके|

पर अफसोस नहीं हुआ कारण समझ लिया था  

तभी  लोगों का प्रयत्न भी पूर्ण न हो सका था 

समय कब पंख लगा कर उड़ चला

हम यहीं रह गए क्या करते|

हमारे साथ वही सुन्दर दृश्य मन में बसा रहा

 मन को संताप तो हुआ पर कोई चारा न था

चल दिए मन मार कर 

अपने घर को |

आशा सक्सेना   

01 फ़रवरी, 2023

विश्वास

 


किसी का विश्वास न तोड़ा करो

तुम पर पूरा विश्वास किया सबने

केवल तुम पर उसकी आशा टिकी है   

मन को न निराश करो उसके |

कभी कारण भी पूंछ लिया करो

उदासी का सबब  उसका  

यूँ न अकारण उलझा करो सबसे

यह तुम्हें शोभा नहीं देता |

जब समस्या हल हो जाएगी

वह  खुद ही शांत हो जाएगी

 उलझनों को नजर अन्दाज करेगी

जीवन को जीने लायक रहने देगी |

किसी की बदसलूकी को मन पे ना लेना

कच्ची उम्र का खेल है  समझ लेना

है वह नादान सोच उसे क्षमा  कर देना

क्षमा कर तुम छोटे न हो जाओगे |

बड़ा मन रखोगे सदा वर्चस्व रखोगे

जीवन भर किसी से नहीं दबोगे

अपने मन पर बोझ न होगा तुम्हारे

यही बात प्रभु भी देखता है  |

जो आस्था रखता पूरी शिद्दत से

उसे किसी से डरने की क्या आवश्यकता

उसने किसी का बुरा न चाहा

नही कोई अवमानना की किसी की |

आशा सक्सेना 

31 जनवरी, 2023

प्रभु से क्या माँगा



जीने की तमन्ना थी आज

खुले आसमान के नीचे

मन ही मन ख़ुश हूँ

इस अवसर को पाकर |

कभी सोचा न था

मेरी मुराद भी पूरी होगी

मुझे कुछ भी न चाहिए

मैंने जो चाहा मिल गया है|

मैंने थोड़ा सा प्रयत्न भी

किया था मन से  

तुम्हारी सलाह भी मानी

ईश्वर की आराधना की |

यही मुझे फलदाई हुई

जीवन सुखी जीने के लिए

जितनी आवश्यकता थी

 वही जब पूरी हो गई

अधिक की चाह नहीं रही  |

 यही प्रयत्न किया जो सफल रहा

अधिक की लालसा न की

संतुष्ट मन की चमक

चहरे पर आई सौभाग्य से |

मैंने धन्यवाद किया 

प्रभू का पूरे दिल से 

हुई सफल खुश हाल जिन्दगी जीने में

जो चाहा वह पाया भाग्य से  |

आशा  

कहने को कुछ भी नहीं है


 

कहने को कुछ भी नहीं है

समझो तो बहुत कुछ है

मन की मन में रहे

यही क्या कम है |

जन्म से किसी के सब

भाग्य में नहीं होते

जब प्रयत्न किये जाते तब

आसानी से सब मिल जाते |

मन में गुंजन होता

किसी मधुर गीत का

उड़ते पक्षियों के साथ

वह उड़ना चाहता |

कोई वर्जना उसे पसंद नहीं है

स्वछन्द रहने की चाह है

जीवन में स्वतंत्र रहकर वह

खुश रहना चाहता है |

हर चाह हो पूरी नसीब में नहीं उसके

मन की करने की आदत ने

उसे बर्वाद किया है

उसे कहीं का नहीं छोड़ा |

वह अपने अन्दर

कुछ परिवर्तन चाहता है

आध्यात्म की ओर है रुझान

उस ओर ही रूचि रखना चाहता |

जाने कब ईश्वर सुनेगा उसकी

वह सबकी सुनता

वह भी लाइन में लगा है

उसकी कब सुनेगा |


आशा सक्सेना

30 जनवरी, 2023

प्रभू क्या चाहे

 

 

महक चन्दन की

खुशबू  पुष्पों की   

महक मिट्टी  की

है ईश्वर की भेट |

यही भेट प्रभू को

अर्पित की मैने

हुआ वक्त पर मददगार

बिना किसी बाध्यता के  

वह सच्ची आस्था को

जानता पहचानता है |

श्रद्धा हो उस पर 

 कोई कुछ  नहीं भी मांगे

अपने लिए बिना मांगे

सब प्राप्त होता है |

सच्ची आस्था   

है  आवश्यक  

उसे मनाने को

और कुछ नही चाहिए |

वह खुद ही

जान जाता है

याचक को

क्या चाहिया |

 

आशा सक्सेना