11 अप्रैल, 2023

बदलता मौसम



जिस दिन धूप ना निकले  

बड़ा अजीब सा लगता है   

सुबह से ही बादल छाए हैं

                              झिमिर झिमिर जल कब बरसे गा  |                                                        कब  मन को राहत देगा                                       दिन भर धूप ना निकलना

जल बरसाने का इरादा होना

मन को बेचैन करता है |

जब मौसम बरसात का होता

 उमढ घुमड़ कर बादल आते

आपस में टकराते बिजली कड़कड़ाती 

फिर बूंदों का टपकना देखा

 बड़ा ही आनंद आया  |

बे मौसम बरसने से जल के     

फसल  खराब हो जाती  है

 तब मन को बहुत

 चोट लगती है |

दिल सोचता है

 कैसे मौसम सुधरेगा

आए दिन फ़सलों का बिगड़ना देख

मन को बहुत दुःख होता है |

हम कितने दिन प्रकृति के नखरे सहेगे

 उसके बदलते  रंग देखेंगे

कुछ मानव ने संतुलन बर्वाद किया है

कुछ प्रकृति ने की नाइंसाफी है  |

आशा सक्सेना  

 

10 अप्रैल, 2023

हाँ हाँ ना ना की उलझन

 



हाँ हाँ ना ना में कितना समय बीता

तुमने ज़रा भी ध्यान ना  दिया

मैं सोचता रहा यही कि 

 कभी तो हाँ में उत्तर आएगा |

मैंने पूरा  प्रयास किया  है 

निराशा हाथ ना आएगी

है विश्वास मुझे अपने पर

 जो चाहता हूँ मिल जाता है |

 जब भी हार के कगार पर रहूँगा

किसी की सलाह को मान दूँगा 

यह तो जान लिया है

 अवसर नहीं गवाऊंगा |

यदि तुमने जल्दी 

 कोई निर्णय ना  लिया

 पछताती रह जाओगी  

यदि सही चुनाव ना कर पाईं |

मेरे लिए हो तुम विशेष

 यही मैं खुल कर कह ना सका

अधर में लटका रहा

हाँ हाँ ना ना में उलझा रहा  |

मेरे ख्याल से तुम भी हो सही सलाह की हो हक़दार   

 समय बर्बाद करो गी यह ना जानता था

क्यूँ मुझे अटका रखा  है

 तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा है |

हाँ  ,ना  कब तक करती रहोगी

निष्कर्ष पर ना  पहुँची  यदि

समय हाथों से फिसल जाएगा

 कुछ भी हाथ ना आएगा   |

आशा सक्सेना 

09 अप्रैल, 2023

मीठी बोली बोलने से संतुष्टि

 


                                                           यूँ तो किसी का कोई नहीं होता 

 तुम समझो या ना समझो

किसी को अपने व्यवहार से

अपनाया भी जा सकता है |

तुम जानो या ना जानो

अपने झुकने से विनम्र होने से

किसी को ख़ुशी मिले यदि

इससे बड़ी बात और क्या होगी |

हमने तो एक ही बात

सीखी है अपने बड़ों से

गैरों को अपनाने से गले लगाने से

बड़ी संतुष्टि मिलती है |

अपना होने की कला सब को  नहीं आती 

 जो ख़ुशी मिलती है यदि बांटी जाए

और  किसी को संतुष्टि मिले

 तब विनम्रता से हानि नहीं होती |

दो बोल मीठे यदि बोलें  

 मन में ख़ुशी छा जाती है

वही अपना हो जाता है

 अपने करीब आ जाता है|

बस हमें और क्या चाहिए

हमें  होना सब के नज़दीक चाहिए

वही है अपना जो हमारा हो 

 सुख दुःख समझे |

हमारा  होने का एहसास कराए

दिल से हमारा हो जाए

सच्चा मित्र रहे कभी ना  बदले  

कठिन समय होने पर  काम आए |

आशा सक्सेना 

08 अप्रैल, 2023

जिस दिन से (हाईकू)


 

१-जिस दिन से

खेल प्रारम्भ  हुआ 

  मजा आया है 

२-जिन्दगी नहीं   

सरल सीधी लकीर 

 कांटे  हैं यहाँ  

३- उलझन है

मार्ग सरल नहीं 

कोशिश करो 

                                     4-सागर नहीं

गहरा सरोबर

पास  खाई है 

५-कितना भय

जल कलकल से

भय  ना कर

आशा सक्सेना 

07 अप्रैल, 2023

सांझ की बेला में



दिन की तेज  धूप  सहते

जन मानस और जंगल में वृक्ष हरे भरे 

धरती  भी हो जाती  गर्म

गर्मीं में तरसती ठंडक के लिए |

संध्या की राह देखते तब सूरज अस्त होता 

वह गोल थाली सा दिखता

 कभी पेड़ों के पीछे से झांकने लगता     

 आसमान सुनहरा हो जाता

दिखते  पक्षी घर को जाते

 दृश्य बड़ा मनोरम होता |

हम दिन में व्यस्त रह कर जब थक जाते 

अपने घर आते वहां स्वर्ग नजर आता

छत पर पानी छिड़क ठंडा करते   

वहीं बैठ थकान कम करते |

फिर बाग़ में सैर को निकलते

बच्चे खुश होते जब बाग़ में घूमते

जब रात को  हर ओर रौशनी हो जाती

यह घर लौटने का संकेत होती |

शाम के धुधलके के प्रसार से

आसपास  ताज़गी का माहोल होता

फिर जीवंत हो जाते सांझ की बेला में  

स्फूर्ति को संचित करते कल के किये 

यही व्यस्तता रहती प्रतिदिन |

घर आते ही अपने काम में व्यस्त हो जाते 

 बच्चे अपने अध्यन  में अच्छे भविष्य के लिए 

अच्छे प्रतिफल के लिए हम भी होते सहायक उनके 

 ज़रा भी आलस्य नहीं करते सांझ की बेला में  |

आशा सक्सेना 

06 अप्रैल, 2023

हाइकू

 १-उस  ने कहा

जन्म महावीर का

सब मनाते

२-जन्म दिन है 

राम के  हनुमान

हम  मनाते

३-राम भक्त हैं  

सीता राम भक्त हुए

हनुमान जी 

४-राम रहीम

सदा एक साथ हैं

मेरे मन में  




05 अप्रैल, 2023

कहाँ जाएं किससे करे शिकायत

 


कहाँ  जाए किस से करें शिकायत

अपना कोई नहीं जिसको अपना कहना चाहा

वह गैरों से भी अलग  लगा

 दिखावा ही दिखावा देखा उसके व्यवहार में |

जिसने  अपना  अधिकार जताया

जानने का रिशता  किसी के साथ बताया

दाल में काला नजर आया |

फिर मन न हुआ उसे  अपनाने का

जब मां ने कहा यह है खून का रिश्ता

 तभी अपनाने का मन बनाया

फिर भी पहले जाना परखा तभी अपनाया  |

जब भी उसका व्यवहार देखा

मन में संतुष्टि का आभास

बड़ों के तजुर्वे का हुआ एहसास

मन में शान्ति का अनुभव हुआ |

आशा सक्सेना