03 दिसंबर, 2023

जंगल का नजारा

 

सूखे पीले पत्ते बिछे सारी  राह में

हवा के साथ में  बह चले

धूल धक्कड़ होती  चारो ओर

वहां खड़े रहना होता मुश्किल |

 पतझड़ का मौसम बड़ा अजीब  लगता

सूखी डालियाँ नजर आतीं

 वन वीरान होते जाते

 कुछ पेड़ों में हरी पत्तियाँ झाँकतीं डालियों के कक्ष से  |

कुछ समय के बाद पेड़ में हरियाली के दर्शन हुए

लहलहाई पत्तियों से लदी डालियाँ

अनोखा आकर्षण आया लहराती डालियों में

गीत गाते रंग बिरंगे  पक्षी यहाँ यहाँ वहां डोलते |

जब कानों में गूंजती वह  मधुर ध्वनि

पैर स्वतः ही बढ़ने लगते जंगल  की ओर

उसमें ही रमना चाहते वहां हरियाली में

घूमना चाहते ताजी हवा में |

भुवन भास्कर के आते ही पत्तियों पर

पैर पसार् लेतीं रश्मियाँ

पूरा बाग़ चमक उठता उनकी आभा से

मन होता कुछ देर ठहर जाऊं वहां |

आशा सक्सेना 

02 दिसंबर, 2023

है जीवन अधूरा तुम्हारे बिना

 है जीवन अधूरा प्रिय  तुम्हारे बिना

पहले भी खालीपन रहता था

जब कभी तुम बाहर जाते थे

जल्दी ना लौट पाते थे |

आते ही मेरी  शिकायतों की

 दुकान लग जाती थी

फिर भी  देर तक रूठी ना रह पाती थी

मन ही जाती थी |

अब वह भी संभव नहीं

तुमने साथ जब  छोड़ा मैं  अकेलेपन से घिरी

अब किसी का साथ नहीं है

मन पर बोझ भारी है |

कितनी कोशिश करती हूँ

मन को व्यस्त रखने की

पर चित्त एकाग्र नहीं हो पाता

कैसे उसे समझाऊँ ,यह किसी ने न बताया  |

धीरे धीरे आध्यात्म की ओरझुकाव होने लगा

 शायद सफल हो पाऊं इसमें कुछ तो कर  पाऊं

प्रभु को पाकर ही अपने को धन्य मानूं |

आशा सक्सेना

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01 दिसंबर, 2023

अनुभव


अथाह ज्ञान केवल

 पुस्तकों से नहीं आता

बहुत प्रयत्न करने होते

 अनुभव के संचय के लिए |

यह  ज्ञान से नहीं आते

उनको भी गुनना पड़ता है

 जीवन में उतारना पड़ता है 

 जीवन में अनुभवों की कमीं नहीं | 

यह क्रिया तभी संपन्न होती है

जब मन में दृढ प्रतिज्ञा हो

 जीवन में उतारने की क्षमता हो 

किसी के कहने सुनने से

 कुछ नहीं होता 

मन में होना चाहिए ललक 

परखने की व अनुकरण की |

उनको सीखने के लिए

 जीवन में उतारने के लिए

 नियमित अभ्यास की 

होती है आवश्यकता |

पूर्ण श्रद्धा से किये कार्य

 अनुभव से सफलता ही देते हैं

जीवन में असफलता

 कभी नजदीक नहीं आती |

आशा सक्सेना 


30 नवंबर, 2023

तुम्हारे सानिध्य में

 

तुम्हारे सानिध्य में उसे

तुम्हारा भक्त बना दिया है

पहले जीवन बेरंग था तुम पर  आस्था रखी

जीवन सार्थक कर दिया |

यही आस्था और विश्वास उसे

जीवाव जीने की प्रेरणा देते उसे

कितनी भी समस्या आए

उसको  पार करना सिखा दिया उसे |

जीवन  में  समस्याओं की

कोई कमी नहीं होती

यदि उनसे दूर भागे

 कैसे सफल जीवन जी पाएंगे |

जितनी कोशिश उनसे

 बाहर  निकलने की करेंगे

जितनी  सफलता पाएगे

 तुम पर आस्था बढ़ती जाएगी

 और प्रगाढ़ होती जाएगी |

आशा सक्सेना

29 नवंबर, 2023

हाइकु

 

१-जीवन नैया

जल में डाली गई

आगे बहती

२-कहते रहे

यह क्या हो रहा है

किसी ने कहा

३-कविता गाई

मन में बसी रही

बड़े प्यार से

४-चतुर हुए

गीत गीत गाकर

पाई प्रशंसा

५-गुनगुनाओ

गीत मधुर लगा है

 शब्द प्यारे हैं |

आशा सक्सेना 

भूलभुलैया

 



 जीवन की राह हुई भूल भुलिया जैसी

जब भी कदम बढाए उसमें फँस कर रह गई

जब भी आगे बढ़ना चाहां  राह नजर ना आई

कदम बढाए दीवार से टकराई आगे बढ ना पाई |

बचपन में कोई कठिनाई ना थी जीवन चलता रहा सरलता से पर

मुझे आगे के जीवन का अंदाजा न था

 जब उम्र बढी जीवन में  झमेले ने  रोका

जितनी कोशिश की उतनी ही उलझती गई

भूल भुलैया से निकलने में किसी ने मार्ग दर्शन ना दिया |

दो कदम भी ना बढे मेरे मैं जहां थी वहीं रही

जहां से अन्दर प्रवेश किया था वहीं  खुद को खडा पाया

 कुछ समय  बाद अपने को वहीं पाया आगे कोई राह ना मिली

जितना आगे बढ़ती वहां का  मार्ग बंद हो जाता   |

कोई सीधा मार्ग नजर ना आया

 ऐसी भूल भुलैया में फँस कर रह गई

कोई सीधा मार्ग न मिला

जीवन में आगे बढ़ने  की राह अवरुद्ध हुई  |

आशा सक्सेना 


28 नवंबर, 2023

मकान आत्मा का


यह काया  है मकान आत्मा की

है  सुन्दर अंतह  पुर इसका

वाह्य आवरण प्यारा सा  इसका

लोगों को ईर्ष्या  होती इसका रूप देख  |

जब झाँक कर देखा इसके अन्दर

और अधिक आकर्षक लगा वहां

यही आकर्षण आया ऐसा

 घर छोड़ने का मन न हुआ |

एक समय ऐसा आया तन थका मन हारा  

 पुराना  घर छोड़ने का मन बनाया

ईश्वर से की प्रार्थना देह छोडी

निकला नए घर की तलाश में |

जैसे ही नया धर मन के लायक मिला

फिर नया घर  देखा पसंद लिया

पहुंचने की तैयारी की अब यादें ही बाक़ी रहीं

आत्मा कभी परमात्मा से मिली नया घर पसंद नहीं आया |

आशा सक्सेना