अब तो बात फैल गई
खुद के वश में कुछ न रहा
कोविद कोविद मत कर बन्दे
जब भी कोई बात बताई जाती
जब जोर जबरदस्ती की
जाती
पुलिस से झूमाझटकी होती |
इतना तक विचार नहीं
होता
दिशा निर्देश होते है
पालनार्थ
जनता की भलाई के लिए
|
क्या है आवश्यक विरोध
नियमों का
हर उस बात का विरोध करना
जो किसी ने सुझाई हो
सरकार को देश हित के लिए |
इतनी सुविधाएं देने
पर भी
नाकारा सरकार है कहा
जाता
सरकार विरोधी नारे
लगा
वातावरण दूषित किया
जाता |
इससे हानि किसको
होती
सरकार तो सजा नहीं पाती
केवल आर्थिक तंगी में फंसती जाती
महामारी का रूप भयावह
देख रूह काँप जाती |
अपनों को गंवा कर दुःख झेलती
आम जनता ही उलझनों में
फँस कर रह जाती |
आशा