29 मार्च, 2021

फितरत मन की


 

प्यार लगाव

कुछ भी नहीं होते

 भीतर भरी   

 फितरती  हो कर

चाहता  कुछ    

उसे यूँ बहकाते

कभी मन  गवाही

देता है  कुछ  

 हो जाता कुछ और   

 कठिन होता     

 प्रेम के  पाठ पढ़े  

पढ़ाए  जाते

 ह्मारी समझ से

बाहर होते

उसका  आनंद ही  

कुछ  और है    

  कह कर मनाना

प्रेम प्यार में

कठिन नहीं होता

  प्रेम का रंग  

 गहरा  होता जब

अपने  साथ

गैर की तलाश क्यों

करना चाहे 

 जब हो  तुम साथ   

 मेरे अपने

सदा रहते साथ

सुख दुःख में

क्यूँ  गैरों की तलाश |   

आशा  

28 मार्च, 2021

यदि प्यार से पुकारो

 




                        यदि प्यार से पुकारो  

दौड़े चले आएँगे

नफरत से कोई रिश्ता नहीं है

 ना ही लगाव हमारा  |

जिसने भी आधात किया

 पलटवार से होता स्वागत  

 बिना बात यदि रार बढ़ाई

 सुकून कहीं खो जाता   |

 आपसी मतभेद से  दुखी कर  

खुद भी सुखी न  रह  पाएगा

हमने किसी से  रार नहीं ठानी  

ना किसी बात को तूल दिया  है

 ना किसी के मन को दुःखी किया है |

 अपने प्यार को अन्धकार में  रखना

है  कहाँ का न्याय?

मेरी  समझ से  है परे

इन झमेलों से  खुद को अलग  रखा है

खुद  को बचा के रखा  है |

 स्वयं  पर है भरोसा इतना

चाहे कितना भी हो प्रलोभन  

कोई हमारे मन को

 फुसला नहीं सकता |

 सच्चा बन कर बहका नहीं सकता

 कोई भी उपहार या प्रलोभन

  मेरी मन के लोभ को जगा नहीं  पाया

 अपना गुलाम मुझे  बना नहीं पाया |

तेरा प्यार ही है एक

उसके आगे मुझे  कुछ नहीं सूझता

उसने  मन को भरमाया है

 उसको सच्चे  दिल से अपनाया है  |

आशा

27 मार्च, 2021

आज की होली





होली के रंगों  में वह मजा नहीं

जो आता है मिलने मिलाने में

गिले शिकवे दूर कर

वर्तमान में खो जाने में |

बहुत प्यार से मिन्नत कर के

 जब कोई खिलाता है गुजिया

उसके हाथों की मिठास

 घुल जाती है उसमें |

मन करता है हाथों को उसके चूम लूं

 फिर से और खाने की फरमाइश करू

फिर सोच लेती हूँ मन को नियंत्रित रखूँ  

लालच की कोई सीमा नहीं होती |

जाने क्यूँ उसकी बनी गुजिया की मिठास

बार बार खाने का   आग्रह

खींच ले जाता है उसके पास

जब तक समाप्त न हो जाए गुजिया

और और की रट लगी रहती है |

अंतस का बच्चा जाग्रत हो जाता है

 रूठने मनाने का सिलसिला

थमने का नाम नहीं लेता

बड़ा  प्यार उमढता है उस खेल में |

प्रतीक्षा मीठी गुजिया खाने की

प्रेम से होलिका मिलन की

जब तमन्ना पूरी हो जाती है

आत्मिक   संतुष्टि से बढ़कर कुछ नहीं |

आशा 



26 मार्च, 2021

कोविद की बापिसी


 

                           रंगीन समा

रहा कोरी  कल्पना

कोविद की बापिसी

हुई जब  से  

बिना रंग  गुलाल

फीका त्यौहार

रंग जाने कहाँ हैं

लौक डाउन

मुझे दुखी ही किया

जीवन गति

क्षीण होने  लगी  है

 कोई उत्साह

न रहा   त्यौहार में

मिठास नहीं  

 देखा  एक ही राग

घर में रहें

 समय कैसे बिताएं

मास्क पहने

सेनेटाईज करें

और  क्या करें

दूरी रख चलना  

बचना  कैसे

बीमारी के वार से

बाहर यदि गए

कैसे बचेंगे

 बीमारी का  भय है 

साँसे रुकी है

 समय नहीं कटता

 सदुपयोग

 करना है इसका

क्या करना है ?

सोच कुंद हुआ है

 तराशें  कैसे  

 विचार सजग हों   

यही  जुगाड़  

  तरकीब बताओ

राह दिखाओ 

समस्या सुलझाओ

 निदान  करो

मेरा बेड़ा  पार हो

यही दुआ दो  |

सागर सी गहराई तुममें

 



सागर सी गहराई तुम में 

हो इतने विशाल 

कोई ओर न छोर |

पर मन पर नियंत्रण नहीं 

जब भी समुन्दर में 

तूफान आता है 

हाहाकार मच जाता |

ऊंची ऊंची लहरें उठतीं 

 अनियंत्रित होतीं जातीं 

 सुनामी के नाम से 

  दिल दहल जाता है |

कितना विनाश होता   

नतीजा क्या निकलता 

मन दुखी हो जाता 

जानने की इच्छा नहीं  

आगे होगा क्या ?

 कैसा होगा अंजाम ?

कहा नहीं जा सकता |

वही हाल तुम्हारा है 

 होते हो  जब गंभीर 

विशाल शांत सागर जैसे  

बहुत प्यार आता है तुम पर 

पर रौद्र रूप धारण करतें ही 

बड़ा  परिवर्तन आ जाता है |

केवल कटुता ही रह जाती 

मन का प्यार 

कपूर की तरह 

कहीं उड़ जाता  है |

आशा

23 मार्च, 2021

सीमित संसाधन

 

 


क्षिति, जल ,पावक ,

गगन समीर 

सीमित हैं  मात्रा में

उपयोगी हैं  

प्रकृति का  आँचल  

हरा भरा हैं

दीखते हैं  पर्याप्त   

 यदि युक्ति हो    

आते  उपयोग में

कम  पड़ते

जब ठीक से नहीं

दोहन होता 

कद्र उनकी न हो 

स्रोत  तो स्रोत 

सीमित संसाधन 

सहेजे जाते 

खोजना सभी लोग 

चाहते रहे  

मीठे जल के स्त्रोत

पानी  के लिए |  

आशा

होली

माँगा फगुआ 

घर घर जा कर 

आल्हा गा कर  

चंग की थाप पर

कम से कम

किया है  उपयोग

पिचकारी का

रंग भरी  बाल्टी का   

गुनगुनाते  

गीत गाते  फागुनी

नृत्य करते  

जाते हैं झूम झूम 

फागुनी हवा

जब चली आती है

मन में गीत

सहज उपजाती

प्रिय  की याद

मन को बहकाती  

यादें  सताती 

मीठी गुजिया 

समोसे पपड़ी हैं 

स्वागत किए लिए 

फागुन आया 

सभी को प्यार देने |

आशा

21 मार्च, 2021

अन्तराष्ट्रीय कविता दिवस


                                                                          यह   दिवस

 मनाते कब से हैं 

इसकी यादें

बसती हैं मन में 

एक पेड़ सी  

घने  वृक्ष के जैसी

गहरी जड़ें  

फैल रही धरा में   

फैली शाखाएं

देती हरियाली है

नव पल्लव

खिल जाते डालों पे

सजते  सोच 

शब्द सहेजे जाते

 उड़ते पक्षी    

 विभिन्न कथन हैं 

छिपे  उनमें

 शब्दों  से बने गीत  

  भूल न पाते

उनके हैं  सन्देश 

दिल में रहे 

तभी यह दिवस

मनाया जाता  

आशा