10 अप्रैल, 2021

हाइकु


 

१-सतही रिश्ते  

कभी साथ न देंते 

काम न आते 

२-जाने दो बातें

 पुरानी हो गई है 

क्या है लाभ 

३-जी  दुखे जब

भूल जाओ प्रसंग

ना दोहराओ

४- किसने कहा

हर बात तुमसे 

है संबंधित

५-आज का दिन

हुआ बहुत भारी

फैला कोरोना

६- नियम सारे

रख किनारे पर

डूबने चले

७-रिश्ते ही रिश्ते 

असली न  सतही

मुंह बोलते  

आशा

09 अप्रैल, 2021

राज

 



दिल नहीं चाहता

गैरों से संबाद करू

जब भी ऐसे अवसर आते  

वे दुःख ही देते

कभी सही सलाह नहीं देते |

अपने तो अपने होते

मतलबी नहीं

जो मतलब की बातें करते

उन्हें अपना समझने की भूल

अक्सर हो जाती

 बचने के लिए इससे

अपनी कोई बात

जब वे बाँट नहीं सकते

सोचो हैं कितने गहरे पानी में

उनकी पहचान तभी

हो पाएगी   

तभी असली राज

 खुल पाएगा  |

आशा

 

1

 

 

 

06 अप्रैल, 2021

अधिकार कर्तव्य


                                                    छिड़ी बहस अधिकारों में कर्तव्यों में 

प्राथमिकता  दौनों में से किसे 

पर सजग अपने  अधिकारों के प्रति 

 मन सचेत है अधिकार  जानता  

दूरी है  कर्तव्यों से ऐसा क्यूँ  ?

कभी विचार  नहीं किया है  

  ना  हीं  जानना चाहा    

 प्राथमिकता  दी  निजी स्वार्थ को 

  चाहते केवल  अधिकार हैं 

कर्तव्य जब भी करना हो 

पीछे पाँव हट जाते 

 अधिकारों  की  पहले मांग 

है कैसा  न्याय   ?

दोनो जरूरी होते हैं 

कर्तव्य करो फिर अधिकार चाहो 

 आत्म मंथन जब कर  पाएंगे 

तभी जान पएंगे

 न्याय संगत   क्या है |

आशा 

04 अप्रैल, 2021

गुलाब का फूल

 


खिला गुलाब 

चल कदमी करता   

 सोचता रहा

 स्वयं  के  जीवन की

कहानी पर 

आज खिला   सुमन   

आया यौवन   

कभी कली रहा था 

पत्तों से ढकी

डालियों के  कक्ष से 

झाँक रहा था  

 कली से झांकती 

खिली  पंखुड़ी

लाल सुर्ख गुलाब 

एकल  नहीं

कंटक  रहते पास

रक्षा के लिए 

बचाते  अनजानों  से

तितलियों की

 भौरों  की छेड़छाड़

  भाती हैउसे  

 प्यार प्रेम  उनका

स्वीकार उसे   

 वायु बेग सहना

 मन से स्वीकार है  

विरोध नहीं

करने की क्षमता

अब न रही  

यौवन की समाप्ति 

 बढ़ती उम्र     

जीवन हुआ  सफल  

 स्वयम अर्पण    

 करने  का   निर्णय 

 आज का पुष्प 

कभी  हारूंगा नहीं |

आशा 





 

   

 

 

 

  

02 अप्रैल, 2021

मन अशांत

 


मन अशांत

 खोज रहा सुकून

चंद पलों का

 होने लगा ऐसा क्यूँ ?

है  अनजान  

कारणों की खोज से

क्या विकल्प

खोजा है अब तक

मन बेचैन

जब चाहे उचते

स्थिर न रहे  

बदले की भावना

सर उठाए

मन  से  नियंत्रण

उठता जाए

 यह कैसा सोच  है

दुविधा में है 

 रुकने  का नाम नहीं

जितना सोचो

तकरार बनी रहती

संतप्त  मन

अहम् और मन की

 हल खोजना

है  भी नहीं आसान 

जितना दिखाई दे

यही सच  है

कोई  होता विकल्प |

आशा 



01 अप्रैल, 2021

क्या रखा है

 


क्या रखा है 

स्वप्नों की

उस दुनिया में

जिसमें ज़रा भी

सच्चाई न हो

है मात्र यह

कल्पना

स्वर्ग सा

आकर्षण जहां

जीवन बेरंग 

है उदास

इन कल्पनाओं में भी

फिर क्या लाभ

खोखले बदरंग से

विचारों का

हर हाल में जो

 खुश न रहे

जीवन है 

व्यर्थ उसका |

आशा


31 मार्च, 2021

छाई खुशियाँ


                                                                        मेरी    खुशियां 

  जब भी  जन्म लेती

बहार आती 

जब  बहार आती  

खुशी सी छाती 

  रहती  वहीं खुशी 

 मस्ती रहती 

 खरीदी जातीं नहीं  

बहती  जाती 

नदी  की  लहरों सी

 देखे नखरे  

  बहती लहरों के 

रंग खेलते   

हरे भरे  वृक्षों से    

 खिलते फूल

रंगबिरंगी डाल  

दिखने लगी 

सब एक साथ ही   

जल की बूंदे   

 मन के सुकून को 

देती विश्राम    

होती है थिरकन 

मेरे पैरों में 

जब भी हवा चले 

मन  हो खुश 

बालक सी आदतें 

  होती  जीवन्त

 देती अनूठी खुशी  |

आशा 


30 मार्च, 2021

एक छत के नीचे

 

  


                                                                       वह और मैं   

क्यूँ  रह पाए साथ

 समझे नहीं   

 एक छत के नीचे  

हमारे बीच

 नहीं खून का रिश्ता

   जाना जरूर 

 फिर भी  लगाव है

दौनों के बीच

यह अवश्य जाना

 खोजा गया मैं    

तराशी गई  वह     

अटूट  बंध  

 है क्या  बंधन कच्चा  

खोज न पाए  

गहरा लगाव रहा

यही  समझा 

 उसमें  व मुझ  में     

जो मन भाया

कुछ भी नहीं होती  

अवधारणा  

रही मन में मेरे   

हुई  है  दृढ

तभी  किया एकत्र

एक घर में

 है  सभी का विचार  

 एक ही जैसा  

तभी रह रहे हैं

चहक रहे

एक छत के  नीचे  

 न दुराव है 

न  मन मुटाव ही 

आपस में है    

 समझ से बाहर

  है  मेरा  तेरा  

सब का रहा  सांझा    

 रहता ही  है