हे शक्तिदायानी वर दायनी ,
हे कल्याणी ,हे दुर्गे ,
तुम्हारे द्वार पर जो भी आता ,
खाली हाथ नहीं जाता ,
पूर्ण कामना होती उसकी ,
जो भी तुम्हें मन से ध्याता ,
है उसकी झोली खाली क्यों?
उसने तो सभी यत्न किये ,
तुम्हें पूरी तरह मनाने के ,भक्ति भाव में डूबा था ,
फिर रही कहाँ कमी ,
यदि इसका भान करा देतीं,
कठिन परीक्षा ना लेतीं ,
वह भव सागर से तर जाता ,
इस जीवन से मुक्ति पाता ,
उसकी झोली खाली थी ,
आज तक भी भरी नहीं है ,
कोई उपाय सुझाया होता ,
वह ठोकर नहीं खाता ,
यदि गिरता भी तो सम्हल जाता ,
बड़े अरमान थे बेटी के ,
तुम बेटी बन कर आजातीं ,
वह तुम्हारे और निकट होता ,
तुम में ही खोता जाता ,
यश गान तुम्हारा सदा करता ,
संतुष्टि का अनुभव करता |
आशा