पढ़ी सुनी और मनन किया
पर हर कहानी अधूरी लगी
थी अच्छी फिर भी कहीं कमी थी |
जीवन के किसी एक पक्ष को
करती है वह उजागर
पर जो भी कहा जाता है
पूरे जीवन का सत्व नहीं है |
अनगिनत घटनाएं
होती रहती हैं
कुछ तो यादगार होती हैं
भुला दिया जाता कुछ को |
कभी अच्छी लगती हैं
आघात कभी दे जाती हैं
यदि बहुत विचार किया
मन चंचल कर जाती हैं |
अंत जीवन का हो
या कहानी का
जब भी लिखा जाए
अधूरा ही रह जाता है |
कितना भी विचार कर
लिखा जाए
आगे और भी
लिखा जा सकता है |
इसी लिए लगता है
हर कहानी चाहे जैसे लिखी जाए
उसके आगे और भी
लिखा जा सकता है |
आशा