
कुछ कदम वह चले
और कुछ तुम भी चलो
है इतनी लम्बी डगर
फासले कुछ तो कम होंगे |
तुम्हारी ये नादानियां
जी का जंजाल हों गईं
समझौता विचारों में
किस तरह हों पाएगा |
यदि चल पाए दौनों
चार कदम भी साथ साथ
जिन्दगी का बुरा हाल
ऐसा न हों पाएगा |
जब भी वह झुके
और तुम ना झुक पाओ
बनती बात बिगड़ जाएगी
फिर कुछ भी न हों पाएगा |
आशा
और कुछ तुम भी चलो
है इतनी लम्बी डगर
फासले कुछ तो कम होंगे |
तुम्हारी ये नादानियां
जी का जंजाल हों गईं
समझौता विचारों में
किस तरह हों पाएगा |
यदि चल पाए दौनों
चार कदम भी साथ साथ
जिन्दगी का बुरा हाल
ऐसा न हों पाएगा |
जब भी वह झुके
और तुम ना झुक पाओ
बनती बात बिगड़ जाएगी
फिर कुछ भी न हों पाएगा |
आशा