अंकित शब्द
जो कभी सुने थे
यादों में ऐसे बसे
कि भूल नहीं पाता
कहाँ कहाँ नहीं भटका
खोज में उसकी
मिलते ही
क्यूँ न बाँध लूं
उसे स्नेह पाश में
जब भी किसी
गली तक पहुंचा
मार्ग अवरुद्ध मिला
जब उसे नहीं पाया
हारा थका लौट आया
आशा का दामन न छोड़ा
लक्ष्य पर अवधान रहा
आगे क्या करना है
बस यही मन में रहा
हो यदि दृढ़ इच्छा शक्ति
होता कुछ भी नहींअसंभव
फिर भी यदि
वह नहीं मिल पाई
वह नहीं मिल पाई
आस का दीपक जला
चिर संध्या तक
प्रतीक्षा करूँगा
आशा