अहसास उसका इससे भी गहरा
उर में छिपे ग़मों को
बाहर आने नहीं देता |
पहचान हुई जब से
साथ नहीं छोड़ा
साथ चला साये सा
लगने लगी रिक्तता उसके बिना |
है दुनिया बाजार ग़मो का
जगह जगह वे बिकते
कई होते खरीदार
विक्रेता बेच कर चल देते |
कहाँ कहाँ नहीं भटका
अशांत मन लिए
अशांत मन लिए
काँटों के अलावा कुछ न मिला
सीना छलनी हुआ
तब उन्हीं ने साथ दिया |
यदि है यही दस्तूर दुनिया का
हम भी उनका साथ न छोड़ेंगे
छिपा कर दिल में उन्हें
साथ उन्हीं के जी लेंगे |
आशा