सीमेंट के इस जंगल में
चारों ओर दंगल ही दंगल 
वाहनों की आवाजाही 
भीड़ से पटी सड़कें 
घर हैं या मधुमक्खी के छत्ते 
अनगिनत लोग रहते 
एक ही छत के नीचे 
रहते व्यस्त सदा 
रोजी रोटी के चक्कर में 
आँखें तरस गयीं 
हरियाली की एक झलक को 
कहने को तो पेड़ लगे हैं 
पर हैं सब प्लास्टिक के 
हरे रंग से पुते हुए 
दिखते सब असली से 
नगर सौन्दरीकरण के नाम पर 
जाने कितना व्यय हुआ 
पर वह बात कहाँ 
जो है प्रकृति के आंचल में 
सांस लेने के लिए भी 
सहारा कृत्रिम वायु का 
ठंडक के लिए सहारा
कूलर और ए.सी. का
ठंडक के लिए सहारा
कूलर और ए.सी. का
है आज की जीवन शैली 
इन बड़े शहरों की 
सीमेंट सरियों से बने 
इस जंगल के घरोंदों की 
और वहा  रहने वालों
की |
आशा 

 
 





