हो निडर घूम रही
जंगल की पनाह में
आवाज से दहशत भरती
लोगों के दिलों में
पर क्या वह माँ नहीं
उसे ममता का
लेशमात्र भी अहसास नहीं ?
पर ऐसा कुछ नहीं
हैं ममता के रूप अनेक
हैं ममता के रूप अनेक
वह भी है सतर्क माँ
सहेज रही अपने बच्चों को
सचेत कर रही उन्हें
आने वाले खतरों से
वह जानती है अभी छोटे हैं
दुनिया की रीत नहीं जानते
यहाँ के रास्ते नहीं पहचानते
यदि इधर उधर भटक गए
सुरक्षा होगी कठिन
शायद इसी लिए
साथ लिए फिरती है
यदि कोई अंदेशा हो
सचेत उन्हें करती है |
आशा
आशा