24 अप्रैल, 2018
23 अप्रैल, 2018
सोच के चोराहे पर
सोच के चोराहे पर खड़ा है
विचारों में डूबा हुआ सा
खल रहा अकेलापन उसे
दुविधा में है कहाँ खोजे उसे
जो कदम से कदम
मिला कर चले
केवल सात कदम चल कर
साथ निभाने का वादा
लगता बड़ा सरल
होता उतना ही जटिल
नहीं सब के बस का
उस राह पर चलना
हमराही की खोज है
उतनी ही कठिन
जज्बातों में बह कर
झूठे वादे करना
कदम से कदम मिला के
जो चलने में हो समर्थ
है सोचने को विवश
किस राह पर जाय ?
आज के संदर्भ में
सभी चाहते ऐसा साथी
जो कदम से कदम
मिला कर चले
दोनों का जीवन
निर्वाध गति से चले |
आशा
22 अप्रैल, 2018
कागज़ के फूल
कागज़ के गुलों को
महकाना पड़ता है
यदि सम्बन्ध सतही हों
मन हो न हो
मुंह पर मुखोटा
लगाना पड़ता है
जब चहरे अपरिचित
हों अजीब हों |
जितना करीब जाओ
अंतस को छानो
मन को जितना
समझाने कि कोशिश करो
हर बार कि तरह
गलत सवाली ही मिलते है
दिल के घाव भरते नहीं
और गहरे हो जाते है |
धीरे धीरे अनुत्तरित
प्रश्नों का भार बढ़ता जाता
वे असहाय की तरह
अपनी असफलता को गले लगा
मन ही मन टूट जाते हैं
बिखर जाते हैंकागज़ के फूल से
न तो सुगंध रह जाती है
ना ही आकर्षण केवल रंग
आशा|
13 अप्रैल, 2018
बदला मिजाज मौसम का
मौसम का बदला मिजाज
अचानक बादल आ गए
थोड़ी सी ठंडक देने
को
पर गलत हुआ सोच
गर्मीं की तल्खी और
बढ़ गई
धरती की नमीं खोने लगी
बड़ी बड़ी दरारें पडीं
वहां
दोपहर में यदि बाहर
निकले
पैरों में छाले पड़
गए
यही हाल रात में
होता
नींद नहीं आती आधी
रात तक
अब तो बदलाव मौसम का
बदलता है रूप पल पल
में
हर बार विचार करना
पड़ता है
क्या करें क्या न
करें
देखो ना पानी बरसा नाम
को
फसल हुई प्रभावित
क्या करें ?
सोचना पड़ता है |
अनुसार उसी के चलना पड़ता
जो हो ईश्वर की मरजी |
आशा
अनुसार उसी के चलना पड़ता
जो हो ईश्वर की मरजी |
आशा
11 अप्रैल, 2018
डर
बचपन से ही डर लगता है
आदी नहीं किसी वर्जना की
ऊंची आवाज से भयभीत हो
अपने अन्दर सिमट जाती है
उस पर है प्रभाव है इस कदर
अँधेरे में सिहर जाती है
रात में नहीं जाती बाहर
डर जाती है अपनी ही छाया से
जानती है वहां कोई नहीं है
अकेली है वह
अकेलेपन से जूझती रहती
पर ज़रा सी आहट से
काँप जाती सर से पाँव तक
दूर कैसे करे मन के डर को
सब समझा कर हार गए हैं
है स्वयं ही डर की सृजनकर्ता
भय मन से जब दूर होगा
ओढ़ा डर का आवरण
झाड़ झटक बाहर करेगी
वह दृढ निश्चय करेगी
सभी से सामना करने की
क्षमता है उसमें तब ही
किसी से नहीं डरेगी |
किसी से नहीं डरेगी |
आशा
हाईकू
रखना आवश्यक
आज कि सोच
२-सच कहा है
मिठास जब होती
कटुता आती
३-खोखले रिश्ते
निभाना है दूभर
इन से बचो
४-तुम्हारा स्नेह
है अटूट बंधन
जीवन भर
५-सुगंध नहीं
सूखे पुष्प सारे ही
उजड़ा बाग
६-आशा निराशा
मन के दो पहलू
बेचैनी बढ़ी
7-मन मयूर
नाचता छम छम
हो के प्रसन्न
८-दूरीबहुत
मन सह न सके
उलझन है
९-तुम क्या जानो
बेटी है अनमोल
भाग्य से मिली
7-मन मयूर
नाचता छम छम
हो के प्रसन्न
८-दूरीबहुत
मन सह न सके
उलझन है
९-तुम क्या जानो
बेटी है अनमोल
भाग्य से मिली
आशा
09 अप्रैल, 2018
सुख दुःख
सुख दुःख आ गले मिले
बड़े प्रेम से आज
पर दौनों में बहस छिड
गई
है वर्चस्व किसका
सुख ने तर्क रखा बड़ी
गंभीरता से
यूं तो मैं कम समय
रुकता हूँ पर
जब तक रुकता हूँ
जीवन में रहता है
वर्चस्व बहार का
जीवन में रहता है
वर्चस्व बहार का
दुःख ने कुछ सोचा
फिर बोला
अवधी मेरी है अधिक
यदि मैं न रहता
तुम्हारी ओर
तुम्हारी ओर
ध्यान किसी का न
जाता
लोग कैसे जानते
तुमको
मान लो मैं हूँ
तुम्हारा सहोदर
मुझसे ही है पहचान
तुम्हारी
पहले सुख सोच में पड़
गया
फिर मान ली हार अपनी
है कटु सत्य यही कि
यदि दुःखों के पहाड़ न टूटते
सुख का अनुभव कैसे होता
सुख प्यार से गले
मिला दुःख से
दोनों अपनी अपनी राह
चल दिए |
आशा
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