मझे तुमसे बहुत कुछ
सीखने को मिला है
यूँ तो सीखने की
कोई सीमा नहीं है
पर संतुष्टि नहीं
होती
जब तक परीपूर्णता न
होती |
यही पूर्णता आते आते
जीवन बहुत व्यय हो
जाता है
है जीवन बहुत छोटा सा
कब समाप्त हो जाए
जान
नहीं पाती|
सच क्या और झूठ क्या
अंतर नहीं कर पाती
बस यहीं आकर मात खा
जाती
तुमने सही सलाह दी
थी
जिसे मैंने अपनी गिरह में बांधा है
किसी कार्य के पूर्ण होने तक
पीछे कदम नहीं हटाना
यही है राम बाण मन्त्र मेरे लिए
जिसका अनुसरण किया
है |
तुमसे यह पाकर
कैसे उऋण हो पाऊंगी
बस इतना और बतादो
जीवन में कभी हार का मुंह न देखूं
यही दुआ दो |
आशा