प्रेम,प्रीत प्यार भक्ति स्नेह केअर्थों में
थोड़ा ही अंतर होता है वह भी जिस ढंग से
प्रयोग किये जाएं कैसे सही प्रयोग हो
किस के लिए उपयोग में आएं |
मन में उठती आकर्षण की भावनाएं
मोहताज नहीं होतीं किसी संबोधन की
हर शब्द है अनमोल
उन्हें व्यक्त करने के लिए |
प्रीत प्रेम होते निहित भक्ति में
अवमूल्यंन उसका नहीं किया जाता
स्नेह है शब्द बहुत सीधा सरल
बडे छोटे सभी के लिए उपयोग में आता |
इसमें आसक्ति की भावना नहीं होती
प्रियतम प्रिया आसक्ति दर्शाते अपनों में
सामान उम्र के लोगों को प्रिय होते
जिसकी है जैसी नजर वही उसे वैसा नजर आता
प्रणय प्रीत की भावना होती केवल अपनों के लिए
गैरों के लिए किये उपयोग गलत मनोंव्रत्ति दरशाते |
आशा