रंगीन समा
रहा कोरी कल्पना
कोविद की बापिसी
हुई जब से
बिना रंग गुलाल
फीका त्यौहार
रंग जाने कहाँ हैं
लौक डाउन
मुझे दुखी ही किया
जीवन गति
क्षीण होने लगी है
कोई उत्साह
न रहा त्यौहार में
मिठास नहीं
देखा एक
ही राग
घर में रहें
समय कैसे बिताएं
मास्क पहने
सेनेटाईज करें
और क्या करें
दूरी रख चलना
बचना कैसे
बीमारी के वार से
बाहर यदि गए
कैसे बचेंगे
बीमारी का भय है
साँसे रुकी है
समय नहीं कटता
सदुपयोग
करना है इसका
क्या करना है ?
सोच कुंद हुआ है
तराशें कैसे
विचार सजग हों
यही जुगाड़
तरकीब बताओ
राह दिखाओ
समस्या सुलझाओ
निदान करो
मेरा बेड़ा पार हो
यही दुआ दो |