
छिड़ी बहस अधिकारों में कर्तव्यों में
प्राथमिकता दौनों में से किसे
पर सजग अपने अधिकारों के प्रति
मन सचेत है अधिकार जानता
दूरी है कर्तव्यों से ऐसा क्यूँ ?
कभी विचार नहीं किया है
ना हीं जानना चाहा
प्राथमिकता दी निजी स्वार्थ को
चाहते केवल अधिकार हैं
कर्तव्य जब भी करना हो
पीछे पाँव हट जाते
अधिकारों की पहले मांग
है कैसा न्याय ?
दोनो जरूरी होते हैं
कर्तव्य करो फिर अधिकार चाहो
तभी जान पएंगे
न्याय संगत क्या है |
आशा