पर लिखने में रूचि है अपार पर
कभी पैन नहीं तो कभी स्याही नहीं |
लिपी बद्ध करने में हूँ अकुशल
कभी है शब्दों अलंकारों का टोटा
किस भाषा को चुनूं किस विधा में लिखूं
यह तक निश्चित नहीं किस से लूं जानकारी |
प्रतिदिन सोचती हूँ सोच को पंख देने की
चाह रखती हूँ ऊंची उड़ान भरने की
किसका ध्यान करू किसे गुरू बनाऊँ
अभी तक निर्णय नहीं ले पाई |
कहीं पढ़ा था बिना गुरू के जीवनहै अकारथ
माया मोह से मुक्त नहीं होता
कलियुग में सकारथ जीवन न हो तब
भव सागर में कहाँ तक तैरेंगे |
जाने कब किनारे तक पहुंचेगे
इस विशाल सागर को पार करेंगे
शक्तिशाली हाथ जब तक बाहँ न थामेंगा
बेड़ा पार न होगा |
पंख यदि गीले हो गए
उड़ने की शक्ति खो जाएगी
व्योम में ऊंची उड़ान भरने की केवल
कल्पना ही रह जाएगी |
जिस हाल में दाता रखे वैसे ही जीवन चलेगा
डरने घबराने से है लाभ क्या
जीवन है एक जुझारू पल सा तभी सफल होगा
जब भी बाधाएं निर्बिघ्न पार करेगा |
आशा