इस बार भी सूनी सड़कें
वीरान पड़े घर
कोई भी हलचल नहीं इधर उधर
इस तरह का अजीब सन्नाटा
कभी स्वप्न में भी न देखा था |
यह खामोशी देख लगा ऐसा
जैसे कोई बड़ी दुर्घटना हुई है
पर मालूम न था
फिर से कोरोना मुंह फाड़े खडा था
तभी लौक डाउन हुआ था |
दो टाइम की रोटी भी
नसीब न होती थी |
प्रवासी मजदूरों की दुर्गति
देखी नहीं जा सकती
बंद हुए सब पहुँच मार्ग
अपने गाँव घर पहुँचने के
पर उन्हें बेचैनी थी
अपने गाँव जाने की
अपनों से मिलने की
यहाँ उनकी सद्गति
नहीं हो सकती थी दूसरे प्रदेश में |
देश की आर्थिक व्यव्स्था
चरमराने लगी है
जनता की लापरवाही से
सावधानी न बरतने से
बनाए गए नियमों का
पालन न करने से
बहुत विकराल रूप
लिया है महामारी ने |
अभी तक नियंतरण नहीं है
इसकी रोक थाम में
अफवाहों की सीमा नहीं है
इसके निदान के लिए
हर बात का विरोध कियी जाता है
चाहे टीकाकरण हो या दवाएं |
ईश्वर न जाने किस बात की
सजा दे रहा है
जाने कब इससे छुटकारा मिलेगा
यह कठिन समय कैसे गुजरेगा
कुछ कहा नहीं जा सकता |
आशा






