रात में अपार शान्ति
रहे
चाहे दिन में व्यस्त
रहूँ
पर रात्री को
विश्राम करूं |
आज की इस दुनिया में
है इतनी व्यस्तता कि
दिन दिन नहीं दीखता
रात का पता नहीं होता |
सदा दिमाग अशांत रहता
यह तक सोच नहीं पाता
क्या सही है क्या गलत है
मनन के लिए भी समय नहीं होता |
भेड़ चाल चल रहा आदमीं
आज
नतीजा क्या होगा कभी
विचारा नहीं
मन हवा के वेग सा उड़
चला
साथ पा अन्य साथियों का |
शायद यही है अंध
भक्ति आज की
नेत्र बंद कर अनुसरण
करने की प्रथा
खुद के विचारों से
है तालमेल कहाँ
फिर भी एक बार तो
सोचा होता |
क्या खुद का कोई
अस्तित्व नहीं
या सोचने की क्षमता नहीं
है
रेत के कण
का भी होता है महत्व
फिर स्वयम का क्यों नहीं |
आशा