कहने सुनने में क्या रखा है
अप्रिय वचन दिल को लगते शूल से
कहने वाले की सोच होगी कम इतनी
कभी सोचा नहीं था |
प्यार से बोले जाते दो बोल
मन को बढ़ावा देते
सुनने वालों के दिल जीत लेते
यूँ तो कोई बात अधिक समय
मस्तिष्क में नहीं रहती
पर व्यर्थ की हुज्जत दिल को जला देती |
जब भी बोलें मीठे बोल
ही मुंह से निकलें
यही व्यवहार से अर्जित यश
अपने साथ जाएगा
जब भी इस जग से विदा लेंगे
याद किये जाएंगे
कोई कहेगा तो सही
बोल तुम्हारे बहुत मीठे थे |
कब भवसागर से मुक्ति मिलेगी
कुछ कहा नहीं जा सकता
पर आशा कि जा सकती है |
जब भी स्वतंत्र आत्मा होगी
बोझ तले दबी नहीं होगी
एक ही पुन्य साथ जाएगा
किसी की बद्दुआ न लेगा कोई
मुक्ति के बाद भी तुझे याद किया जाएगा |
मुक्ति के बाद भी तुझे याद किया जाएगा |