11 अगस्त, 2021

बीते बचपन की यादें


                       जब मैं  छोटा बच्चा था

माँ का बहुत  लाडला था

पर बहुत शरारत करता रहता

कई व्यवधान खड़े करता था |

जब भी कहीं जाना होता

किसी भी  बात पर रूठ जाता

जब तक बात पूरी न हो

रोना गाना चालू रहता था |

कोई कब तक सहन करता

पर माँ ही एसी थी जो    

बड़े प्यार से समझाती

जब पानी सिर से ऊपर जाता

डाट का सहारा लेती थी |

समय है बड़ा अमूल्य

यह बार बार समझाती थी

समय का मूल्य बताती थी

 मेरी समझ से सभी बाहर होता|

मनमानी करना न छोड़ पाया

मेरी जिद की जब अति हो जाती

माँ को  स्कूल पहुँचने  में देर होती

कभी लाल निशान लगता चेताया जाता

कभी अवकाश लेना पड़ता |

तब माँ का क्रोध  बढ़ जाता

 दस दस बातें जब सुनती

सहन नहीं कर पाती थी

अश्रु से भरी आँखें ले कर  

बहुत उदास  घर पर आती थी  |

मुझे  प्यार से समझाती

वादा कहना मानने का

जिद न करने का लेती

फिर ममता से गले लगाती थी |    

 जब कभी मैं उनकी  जगह

 खुद को रखकर सोचता हूँ

अपनी गलती को महसूस करता हूँ

पर समय तो लौटता नहीं पीछे

किसी तरह यादों को बमुश्किल समेटता हूँ |

       


                   
आशा                                                                                                                                                                                                                                                                                                           

10 अगस्त, 2021

दुनिया सिमटी अपने में


  नहीं किसी से दोस्ती
 ना ही किसी से प्यार 

 अपने में सिमटे रहने को 

दिल था  बेकरार |

प्यार है किस चिड़िया का नाम 

सोचा नहीं  

हुआ  दोस्ती से  कितना लाभ 

जाना नहीं |

मन को पंख लगा कर 

उड़ान भरी व्योम में

आनंद उड़ने का लिया

 भयभीत तनिक  न हुआ |

 जितनी बातें किसी से  हुईं 

 यादों में सिमटीं   

 ख्यालों की दुनिया का

 बाजार गर्म रहा |

भावना के सागर में भी

 खूब लगाई डुबकियां  

तैरे घंटों

 किनारे पहुचे|

 मन के कैनवास पर

सात रगों से छवियाँ 

उकेरी पूरी शिद्दत से

सारी दुनिया सिमटी

   थी उस पर |

खट्टे मीठे अनुभव भी

 पीछे न रहे 

शब्दों की माला के रूप में 

निखर कर आए |

 ऐसे ही विचार बारम्बार

 मन की बगिया में घूमें 

फलें फूलें लहराएं 

 महक अपनी पीछे छोड़ जाएं |

आशा 

09 अगस्त, 2021

ख्याल नहीं तो और क्या है


 

यह ख्याल नहीं तो और क्या है

कि उसने चुराया है सुकून तुम्हारा

कभी उसे  देखा नहीं

जाना पहचाना नहीं

फिर भी धुन है कि वह तुम्हारी

 बहुत  कुछ लगती है |

क्या बुरा है ख्यालों में डूबे रहना

है क्या बुराई इसमें   

 आज तक जान न पाए

 राज क्या छिपा है इस में 

समझ से परे  है |

अपने  मन का दामन थामें रहने में

बहुत दूर के स्वप्न देखने में

ख्यालों में डूबे रहने में

 जज्बातों में बह जाने में

कोई गुनाह तो नहीं है |

बड़ी मुश्किल से मिली

तुम्हारी स्वप्नों की शहजादी

तभी दूर जाने से भयभीत हुए 

हर बार यही दोहराते हो 

वह तुम्हारी बहुत कुछ लगती है |  


आशा 

भोले नाथ हो (हाइकु )


१-हे भोलेनाथ
तुम कितने भोले
करदो दया
२-मेरी इच्छा है
तुम पर निगाह
मेरी केवल
३-किसी की श्रद्धा
हलके में न लेना
यही प्रार्थना
४- शिवशंकर
तुम ही भोलेनाथ
आराद्ध्य मेरे
५- सृष्टि पालक
तुम् ही संहारक
हो शम्भू नाथ

६- शिव पार्वती
मूषक की सवारी
मन को भाई

७- कठिन व्रत
कर पाया शिव को
शैल सुता ने

८- शिव शंकर
भोले भंडारी तुम
मन हरते

९-ॐ नमो नमः
शिवशंकर भोले
सृष्टि पालक
आशा



आशा

08 अगस्त, 2021

क्षणिका


 

रही न अपेक्षा कभी तुमसे

छूटे न हाथ तुम्हारा कभी उससे

समय नहीं दे पाया जिसको

वही बेवख्त काम आया |


सागर में जल अथाह

कैसे नापा जाए

कोई पैमाना न मिला ऐसा

जिससे गहराई को नापा जाए |


सतही रिश्ते कब तक कोई झेले

जब दूसरा न निभाना चाहे

मन में खलिश होती है

उसे कैसे मिटाया जाए |


प्यार का बुखार नापूं कैसे 

ऐसा ताप मापी न मिला 

किसी ने उसे बाटा  हो 

ऐसा आसामी न मिला |

आशा

 

07 अगस्त, 2021

क्यों बिसराया मुझे



                                   
                                  मैंने कितने दिन रात काटे
   

तुम्हारे इन्तजार में

             तुमने मेरी सुध न ली 

इस बेरहम संसार में |

कितने यत्न किये मैंने तुम्हें रिझाने में

अपनी ओर झुकाने में  

पर तुम स्वार्थी निकले

एक निगाह तक न डाली मुझ पर  |

यह कोई न्याय नहीं है

मेरे प्रति इतना भेद भाव किस लिए

किस से  अपनी व्यथा कहूं मैं

तुमने मुझे बिसराया है |

पूरे समय तुम्हारा किया ध्यान

फिर भी तुमने सिला न दिया

मन को बहुत क्लेश हुआ 

 करूं  कैसे विश्वास किसी पर|

अंधविश्वास  मुझसे न होता

फिर भी अटूट श्रद्धा तुम पर

तुमने भी एक  न सुनी मेरी

मुझे अधर में लटका दिया |

हे श्याम सुन लो मेरी प्रार्थना

छुटकारा दिला दो इस दुनिया से

अब मेरी यहाँ किसी को

कोई आवश्यकता नहीं है|

आशा  

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


06 अगस्त, 2021

जज्बा होना चाहिए

   ख्यालों की दुनिया में

 कामयाबी का स्थान कहाँ

जहां अपने पैर  पसारे

उसे ऐसे ही ठेल दिया जाता है |

मन पर पाषाण रख

कितनी कठिनाई से

उनका बोझ  सहन

 किया जाता है

कोई मन से पूंछे  |

ख्याल तो ख्याल ही हैं

उनसे कैसी दूरी

जीने का आनंद नहीं रहता

बिना ख्वावों ख्यालों के |

सच कहा जाए 

तभी जिन्दगी सवरती हैं

जब कुछ सपने हों

साकार करने को |

केवल ख्यालों से कोई

 हल नहीं निकलता

जज्बा भी होना चाहिए सफलता का

 किला फतह करने को  |

आशा

 

 

 

 

 

 मैं