13 अगस्त, 2021

आखिर कब तक


कब तक यूंही डरते रहेंगे

खुल कर सांस ले न पाएंगे

मन को उदासी घेरेगी  

हर मुस्कान की भी कीमतें देंगे |

हंसना रोना सब हुआ पराधीन

क्या यही प्रारब्ध में लिखा है ?

जितना सोचो कम लगता है| 

 बहुत वितृष्णा होती है

अपनी पराधीनता पर

दासता की गंध आती है

जब खुद पर दृष्टि जाती है |

 स्वर्ण की हथकड़ी पहनी थी

पैर सजे थे चांदी की बेड़ियों से

खेलना खाना था मयस्सर

जीवन पहले बड़ा रंगीन दीखता था |

 आकर्षण उसका अपनी ओर आकृष्ट करता था

जब ठोस धरा पर कदम रखे

  भाव मन के कहीं लुप्त हुए स्वप्न जैसे 

बहुर यत्नों के बाद भी न मिल पाए |

जब तंद्रा से जागी

 खुद को पराधीन पाया

यही कटु सत्य है दुनिया का

यही समझ में आया |

समाज के नियमों में बंध  कर रहना

 इतना भी  सरल नहीं है

महिलाओं से मिले पूंछा परखा

वे पराधीनता से ढकी  हैं सर से पैरों तक |

हम कर्तव्यों से बंधे हैं अधिकारों से कोसों दूर

जब भी अपने अधिकार चाहे

सरलता से कह दिया जाता 

 समय कहाँ है तुम्हारे पास | 

आशा 

 

12 अगस्त, 2021

दुनिया का मेला


 

दुनिया का मेला

बड़ा झमेला

सोचना समझना 

बड़ा मुश्किल

बड़ी बेचैनी होती

जब फँस जाते है

यहाँ आकर

किसी उलझन में

जिधर  देखो 

राह नहीं मिलती

नहीं आसान

बाहर निकलना

इस झमेले में से

बड़ा कठिन

सही राह  चुनना

उस पर चल

  अनुसरण करना  

फिर भी कहीं

मन में रह जाती

किरचें कांच की  |

11 अगस्त, 2021

हाइकु

 


                             1-वन संपदा 

सुरक्षा आवश्यक 

हो संरक्षक  

२-वृक्ष लगाओ 

हरियाली बचाओ 

पेड़ न काटो 

३- जल संचय 

 बड़ा जरूरी रहा 

ग्रीष्म ऋतू में 

४-जल बचाओ 

स्वच्छ उसे रखो 

है जिम्मेदारी 

५-  गंदे  जल का 

निकास अलग हो 

शुद्ध अलग

 ६-पानी ही पानी 

पर स्वच्छ नहीं है 

पीना मुश्किल  

७-हरा भरा है 

मध्यप्रदेश मेरा 

गर्व है मुझे 

आशा 

बीते बचपन की यादें


                       जब मैं  छोटा बच्चा था

माँ का बहुत  लाडला था

पर बहुत शरारत करता रहता

कई व्यवधान खड़े करता था |

जब भी कहीं जाना होता

किसी भी  बात पर रूठ जाता

जब तक बात पूरी न हो

रोना गाना चालू रहता था |

कोई कब तक सहन करता

पर माँ ही एसी थी जो    

बड़े प्यार से समझाती

जब पानी सिर से ऊपर जाता

डाट का सहारा लेती थी |

समय है बड़ा अमूल्य

यह बार बार समझाती थी

समय का मूल्य बताती थी

 मेरी समझ से सभी बाहर होता|

मनमानी करना न छोड़ पाया

मेरी जिद की जब अति हो जाती

माँ को  स्कूल पहुँचने  में देर होती

कभी लाल निशान लगता चेताया जाता

कभी अवकाश लेना पड़ता |

तब माँ का क्रोध  बढ़ जाता

 दस दस बातें जब सुनती

सहन नहीं कर पाती थी

अश्रु से भरी आँखें ले कर  

बहुत उदास  घर पर आती थी  |

मुझे  प्यार से समझाती

वादा कहना मानने का

जिद न करने का लेती

फिर ममता से गले लगाती थी |    

 जब कभी मैं उनकी  जगह

 खुद को रखकर सोचता हूँ

अपनी गलती को महसूस करता हूँ

पर समय तो लौटता नहीं पीछे

किसी तरह यादों को बमुश्किल समेटता हूँ |

       


                   
आशा                                                                                                                                                                                                                                                                                                           

10 अगस्त, 2021

दुनिया सिमटी अपने में


  नहीं किसी से दोस्ती
 ना ही किसी से प्यार 

 अपने में सिमटे रहने को 

दिल था  बेकरार |

प्यार है किस चिड़िया का नाम 

सोचा नहीं  

हुआ  दोस्ती से  कितना लाभ 

जाना नहीं |

मन को पंख लगा कर 

उड़ान भरी व्योम में

आनंद उड़ने का लिया

 भयभीत तनिक  न हुआ |

 जितनी बातें किसी से  हुईं 

 यादों में सिमटीं   

 ख्यालों की दुनिया का

 बाजार गर्म रहा |

भावना के सागर में भी

 खूब लगाई डुबकियां  

तैरे घंटों

 किनारे पहुचे|

 मन के कैनवास पर

सात रगों से छवियाँ 

उकेरी पूरी शिद्दत से

सारी दुनिया सिमटी

   थी उस पर |

खट्टे मीठे अनुभव भी

 पीछे न रहे 

शब्दों की माला के रूप में 

निखर कर आए |

 ऐसे ही विचार बारम्बार

 मन की बगिया में घूमें 

फलें फूलें लहराएं 

 महक अपनी पीछे छोड़ जाएं |

आशा 

09 अगस्त, 2021

ख्याल नहीं तो और क्या है


 

यह ख्याल नहीं तो और क्या है

कि उसने चुराया है सुकून तुम्हारा

कभी उसे  देखा नहीं

जाना पहचाना नहीं

फिर भी धुन है कि वह तुम्हारी

 बहुत  कुछ लगती है |

क्या बुरा है ख्यालों में डूबे रहना

है क्या बुराई इसमें   

 आज तक जान न पाए

 राज क्या छिपा है इस में 

समझ से परे  है |

अपने  मन का दामन थामें रहने में

बहुत दूर के स्वप्न देखने में

ख्यालों में डूबे रहने में

 जज्बातों में बह जाने में

कोई गुनाह तो नहीं है |

बड़ी मुश्किल से मिली

तुम्हारी स्वप्नों की शहजादी

तभी दूर जाने से भयभीत हुए 

हर बार यही दोहराते हो 

वह तुम्हारी बहुत कुछ लगती है |  


आशा 

भोले नाथ हो (हाइकु )


१-हे भोलेनाथ
तुम कितने भोले
करदो दया
२-मेरी इच्छा है
तुम पर निगाह
मेरी केवल
३-किसी की श्रद्धा
हलके में न लेना
यही प्रार्थना
४- शिवशंकर
तुम ही भोलेनाथ
आराद्ध्य मेरे
५- सृष्टि पालक
तुम् ही संहारक
हो शम्भू नाथ

६- शिव पार्वती
मूषक की सवारी
मन को भाई

७- कठिन व्रत
कर पाया शिव को
शैल सुता ने

८- शिव शंकर
भोले भंडारी तुम
मन हरते

९-ॐ नमो नमः
शिवशंकर भोले
सृष्टि पालक
आशा



आशा