एक ही बात की रट लगाना
उसके दाने बाएँ भी न झांकना
है कहाँ का न्याय यह तो बताना
उसके दाने बाएँ भी न झांकना
है कहाँ का न्याय यह तो बताना
आज भारत का सितारा
हुआ बुलंद
अन्तरिक्ष विज्ञान में
पीछे नहीं रहा |
नासा फिर से
अग्रणी हुआ विश्व में
वाह क्या करिश्मा हुआ
किया कमाल भारतीय वैज्ञानिकों ने |
चाँद पर उतारा चन्द्र यान
वहां लेंडिग भी रहा सफल
एलियन संदेशों के कोड समझ
उनसे आए निर्देशों को समझा |
कठिन कार्य आसान हुए
वहां जीवन की आशा में
की जितनी खोजे उनमें हो सफल
कीर्तिमान स्थापित किया |
वहां जीवन के रहस्यों की
खोज पर अपनी मोहर लगाई
चाँद पर रहने की
अंतरइच्छा को जाग्रत किया |
भविष्य में मनव के
वहां बसने की
जीवन वहां होने की संभावना
नकारी नहीं जा सकती |
खोजों ने स्पष्ट किया
जल की उपस्थिति की संभावना रही
कई खनीज पाए गए वहाँ
आक्सिजन भी है वहां पर कम |
धूप छाँव दिन रात भी होते हैं
धरती जैसे जीवन के लिए
यही तो चाहिए धरा सा
जीवन जीने के लिए |
आशा
हर हाल में पूरा होता है
कभी हार नहीं होती
सच्ची कोशिश यदि की होती |
२-पढ़ना लिखना है एक शौक
चाहे जिस उम्र में हो सकता है
इसको पूरा करने में
मन को सुकून मिलता है |
३- प्यार है एक जजबात मन का
कोई जोर नहीं इस पर किसी का
किसी सीमा में बंधकर नहीं रह सकता
किस से कब हो जाए मालूम नहीं होता |
४- रात्रि बिताई जागरण कर
सोने का मन न हुआ
जाने कितने ख्यालों ने घेरा
खड़ा किया असमंजस में |
५- प्यार तो प्यार ही है
किसी से भी हो जाए
कोई गुनाह नहीं है यह
जाने कब किस ओर मुड़ जाए |
आशा
है गर्ब मुझे यह कहते हुए
मैंने जन्म दिया था उसे
दोनो कुल का नाम बढाया उसने
कभी नाम न डुबोया मेरा
मेरी सारी अपेक्षा पूरी की उसने |
कौन कहता है कि बेटी पराई होती है
कन्यादान के बाद उस पर आपका
कोई अधिकार नहीं रहता
सच कुछ और ही होता है |
शिक्षित हो वह सभी मोर्चों पर
खरी उतरती है
बेटी मिलती है बड़े सौभाग्य से
कोई पुन्य किया हो पूर्व जन्म में
तभी बेटी का सुख मिल पाता है |
वे हैं हतभागी
जिन्होंने बेटी न पाई
बेटी के बिना
घर में बहार न आई |
घर का आँगन सूना ही रह गया
उसकी किलकारी बिना
उसकी पायल की झंकार बिना |
मुझे बहुत प्यारी है
मेरी संस्कारी बेटी
सब त्यौहार अधूरे लगते
उसके बिना|
उसके आते ही घर में
बहार आ जाती है
उसके जाने से रौनक
कहीं खो जाती है|
घर की बगिया
वीरान सी हो जाती है
महक पुष्पों की भी
कहीं खो जाती है |
बाग़ से हरिया भी
मुंह फेर लेती है
उदासी घर घेर लेती है
सूनापन डसने लगता है उसके बिना |
उसकी कमी का किसी को
पता नहीं चलता पर खलता
अनजाने में उदासी
घर घेर लेती है |
आशा
बंधे रहना किसी के साथ
जीवन में इतना सरल नहीं
अपने आप को किसी के
अनुसार ढालना पड़ता है |
यदि अड़े रहे अपनी बातों पर
मझधार में हाथ छूट जाता
कोई नहीं सोचता कि किनारा
कहाँ होगा मिलेगा या नहीं |
पर तब तक देर हो चुकी होगी
समय लौट कर न आएगा
मन चाह बहुत दूर छूट जाएगा
मन को भारी कर जाएगा |
बंधन समाज के हों
या खुद के मन के
होते हैं बड़े अनमोल
यदि टूट गए फिर से
जुड़ नहीं पाते |
कोशिश जोड़ने की भी की यदि
मन में गठान रह ही जाती है
यह इतना त्रास देती है कि
धीरे धीरे नासूर बन जाती है |
जिसे सहना सरल नहीं होता
जीना तो पड़ता है पर
मर मर कर जीना भी
क्या जीना है |
आशा
गीत गाता रहा गुनगुनाता रहा
एकांत में
मन के भाव पिरोए हैं
बंद कमरे में |
झांका तक नहीं बाहर
किसी अनजान को
मुझे किसी की दखलन्दाजी
अच्छी नहीं लगती
किसी भी काम में |
जिस कार्य को पूर्ण करने का
बीड़ा उठाया है
उसे पूरा करने की
क्षमता भी है मुझ में |
अधूरा कार्य छोड़ना
उससे पलायन करना
नहीं लगता
न्यायसंगत मुझे |
उस के साथ अन्याय
मुझे पसंद नहीं
गीत कहाँ तक सफल हुआ
कैसे जानूं
जब सुने कोई
खुद को पहचानूं |
है अपेक्षा यही कि
गीत परिपूर्ण हो
यदि सफलता मिले उसमें
और नया गीत बने |
अधिक उत्साह से
कुछ और लिखूं
धुन बनाऊँ गुनगुनाऊँ
जो मन को छुए ऐसा गीत रचूं|
आशा
१- प्यारा संगीत
बसा मन में ऐसा
रहा ख्यालों में
२-शोभा न देती
प्यार न हो दिल से
लाग लपेट
३-कहना माना
क्या गलत न किया
क्षमा करना
४-तुम न आए
हर आहट पर
चौंक रही हूँ
५-छाया उजाला
रात अमावस की
दीप्ति मान है
६- किया श्रृंगार
बाली उम्र में यह
किस के लिए
७-प्यार दुलार
भरा दिल में फूटा
गर्म लावे सा
आशा