है गर्ब मुझे यह कहते हुए
मैंने जन्म दिया था उसे
दोनो कुल का नाम बढाया उसने
कभी नाम न डुबोया मेरा
मेरी सारी अपेक्षा पूरी
की उसने |
कौन कहता है कि बेटी पराई होती है
कन्यादान के बाद उस पर आपका
कोई अधिकार नहीं रहता
सच कुछ और ही होता है |
शिक्षित हो वह सभी मोर्चों पर
खरी उतरती है
बेटी मिलती है बड़े सौभाग्य से
कोई पुन्य किया हो पूर्व जन्म में
तभी बेटी का सुख मिल पाता है |
वे हैं हतभागी
जिन्होंने बेटी न पाई
बेटी के बिना
घर में बहार न आई |
घर का आँगन सूना ही रह गया
उसकी किलकारी बिना
उसकी पायल की झंकार बिना |
मुझे बहुत प्यारी है
मेरी संस्कारी बेटी
सब त्यौहार अधूरे लगते
उसके बिना|
उसके आते ही घर में
बहार आ जाती है
उसके जाने से रौनक
कहीं खो जाती है|
घर की बगिया
वीरान सी हो जाती है
महक पुष्पों की भी
कहीं खो जाती है |
बाग़ से हरिया भी
मुंह फेर लेती है
उदासी घर घेर लेती है
सूनापन डसने लगता है उसके बिना |
उसकी कमी का किसी को
पता नहीं चलता पर खलता
अनजाने में उदासी
घर घेर लेती है |
आशा