1-बिना धन मन के कोई कार्य नहीं होता
यह देखा मैंने अपने छोटे से
जीवन में
एक पत्ता भी न हिल पाए वायु बहाव बिना
क्यों आदत हो गई जान पाना मुश्किल |
2-ज़रा सी बात पर आंसू बहाना
क्या मूर्खता नहीं जज्बातों में बह जाना
दिया जो अनमोल खजाना
अश्रुओं का
क्यों अकारथ जाए बह कर |
3-उद्विग्न हो बेचैन सब को कर जाए
यदि न हो आत्मविश्वास स्वयं
पर
अधर में
लटका ही रह जाए
कठोर धरा पर न टिक पाए |
4-कितनी बेचैनी आसपास
मन को भी घेर लिया उसने
बुद्धि भी विचलित हुई है
कोई विकल्प नहीं छोड़ा उसने |
गली में सीटियाँ बजाते हो
तुम क्यों उसका पीछा करते हो
जग हंसाई का कारण बनाते हो
कभी सोच कर देखना उसके प्रति
क्यों उसके जीवन को
नरक बनाने पर तुले हो
क्या सही है तुम्हारा व्यवहार
उसके प्रति |