14 अप्रैल, 2022

ख्याल मेरा नहीं सभी का है



 

   


             ख्यालों में तुम बसे हो 

सभी का भाव समझना संभव नहीं 

मुझे मालूम है

 तुम हम से दूर नहीं |

मन ही मन सबसे

 कुछ कहना चाहते हो

 कभी कोई गाना गुनगुनाते हो

मुस्कुरा कर अपनी बात

 हमें समझाते हो |

अचानक  गुमसुम हो जाते  हो

पहले भी  बहुत बोलने के आदि न थे

कभी कभी ही अपनी प्रतिक्रया देते थे

अब सब होते बेचैन 

जब तुम बात नहीं करते  |

तुम्हारे मन में क्या चल रहा है  

सब जानने को बेकरार नजर आते

 मैं समझ जाती हूँ तुम्हारे इशारे से 

  अनजान बनी रहती हूँ उनसे |  

तुम्हारे मन में उमड़ते

घुमड़ते भावों को

बहकने नहीं देती भटकने नहीं देती

प्यार तुम्हें करती हूँ अंतरमन से |

आशा

13 अप्रैल, 2022

भोर हुई


 

भोर हुई बीती रात्रि  

प्रातःनीलाम्बर में लाली छाई

आदित्य ने ली अंगड़ाई   

वहां की  रौनक बढ़ाई |

 मानव समूह जागा नित्य की तरह  

  अपने कार्यों की ओर रुख किया

जल्दी से धर के कामों को किया

अवधान  कार्य  करने में  लगाया |

टीका टिप्पणी का किसी को अवसर न दिया  

 मन की प्रसन्नता की सीमा न रही

जब सफलता ने कदम चूमें

और भूरि भूरि प्रशंसा मिली |  

 अब सोच लिया कार्य में संलग्न हुई 

 तीव्र गति से कार्य पूर्ण किया 

 गंतव्य तक पहुंचाया 

 जिस कार्य को अंजाम दिया |

कभी असफलता का मुंह न देखूं

हार मुझे मंजूर नहीं यही मुझे दरकार नहीं 

बिना बात क्यों आंसू बहाऊँ  

किसी के मन को दुःख पहुँचाऊँ |

आशा 


12 अप्रैल, 2022

दाता तुम मेरे हो




मैंने हाथ फैलाया तुम्हें पाने को
मुझ पर कृपा करना प्यार बरसाना
दाता तुम मेरे हो मेरे ही रहना
दाता मुझ पर महर करना भूल न जाना |
मेंने की प्रार्थना जब से तुमसे लगन लगी
क्षणभर को भी तुम्हें बिसरा न पाया
तुम में ही खोया रहा
दिन रात तुम्हें याद किया |
राम नाम जपता रहा
मन में संतुष्ट तब भी न हुई
मेरे तुम्हारे बीच
किसी का दखल सह न पाया |
आशा

11 अप्रैल, 2022

महिमा राम नाम की


 


राम राम बसा मेरे उर में

मैं दूर रहूँ कैसे तुमसे

जब तक राम नहीं होगा मन में

मेरा जीवन अधूरा रहेगा |

दिन रात एक ही रटन

जय  हो सीता राम की राधे श्याम की  

कुछ और नहीं सूझता

जीवन कैसे कटे हरि नाम बिना |

यह परिवर्तन आया कब  कैसे

न जाने कब कितने समय से

उल्झन में हूँ किससे कहूं

कैसे अपने मन का समाधान करूं|

न जाने कितनी परीक्षाएं मेरी लोगे

 अपना अनुकरण सिखा देना 

है यही संजीवनी बूटी 

यही मुझे समझा देना   |

आशा

क्षणिकाएंं



1-बिना धन मन के कोई कार्य नहीं होता

यह देखा मैंने अपने छोटे से जीवन में

एक पत्ता भी न हिल पाए वायु बहाव बिना

 क्यों आदत हो गई जान पाना मुश्किल |

 

 2-ज़रा सी बात पर आंसू बहाना

क्या मूर्खता नहीं जज्बातों में बह जाना

दिया जो अनमोल खजाना अश्रुओं का

क्यों अकारथ जाए बह कर  |

 

 3-उद्विग्न  हो बेचैन सब को कर जाए

यदि न हो आत्मविश्वास स्वयं  पर

  अधर में लटका ही रह  जाए

कठोर धरा पर न टिक पाए |

4-कितनी बेचैनी आसपास

मन को भी घेर लिया उसने

बुद्धि भी विचलित हुई है

कोई विकल्प नहीं छोड़ा उसने  |

गली में सीटियाँ बजाते हो

तुम क्यों उसका पीछा करते हो

जग हंसाई का कारण बनाते हो

कभी सोच कर देखना उसके प्रति

क्यों उसके जीवन को

नरक बनाने पर तुले हो

क्या सही है तुम्हारा व्यवहार

उसके प्रति |


09 अप्रैल, 2022

कर्मफल

 


मानव योनी की प्राप्ति के लिए

घूम चुका चौरासी लाख  योनियों में

कहाँ नहीं भटका कितने रूप धरे

तब जाकर मानव तन मिला |

है सबसे अलग मिलना श्रेष्ठ योनी का  

यदि मन से स्वीकार किया हो  

जितने कर्म किये पहले

 फल अब भोग रहा हूँ |

ईश्वर ने सभी कर्मों  का

लेखा जोखा रखा है मेरे खाते में

 जिनकी पूर्ती के लिए

जाने कितने जन्म लगेंगे |

जाने कब भाग्य के कुकृत्यों पर ताला लगेगा

इस भवसागर के जालक से छुटकारा मिलेगा

                             अब हूँ सतर्क जाने अनजाने में

कोई गलत कार्य नहीं करता सब से बच कर रहता हूँ |

यदि कुछ गलत हो जाए

 प्रभु से क्षमा मांग लेता हूँ

जिसने मांगी क्षमा 

मानो जग जीत लिया उसने|

भगवान के दिशा निर्देश पर चल कर

अपना मार्ग प्रशस्त किया है

गुरू से मिली प्रेरणा जब से

पीछे पलट कर न देखा है |

उन कार्यों को कभी नहीं  दोहराया

सांसारिकता को त्यागा

माया मोह से बच कर चला

 मुक्ति मार्ग पर चल दिया |

08 अप्रैल, 2022

जिन्दगी कैसे चले



            काली अंधेरी रात है

दीखता न कोई राह में

जीवन की शाम ढल गई  

जीवन डूबा  अंधकार में |

जब हाथ पकड़ कर चले साथ

कितने थे जीवंत

आगे का कभी सोचा नहीं

ख्याल कभी न आया उसका |

जीवन काँटों से भरा है

बहुत कष्ट आते जीवन में

सुख दुःख तो आते जाते हैं

पर सुख होता क्षणिक |

दुःख खेलता लंबी पारी

दौनों से घबराना कैसा

हार जीत लगी रहती है

इस छोटे से जीवन में |

जिसने मानी हार

 जिन्दगी की जंग से  

वही जंग जीत न पाया

जिसने उसे दूर हटाया

सही जिन्दगी जी पाया |

जितनी साँसे दी भगवान ने

 हिसाब उनका तो देना होगा

तुम्हें उसके दरवार में

तुमने कितना न्याय किया उनसे

यही सब सच  कहना होगा |

खुद चाहे कुछ भी न किया हो

या किसी ने जबरन करवाया हो

भागीदार तो दौनों  रहे

 हो उन कृत्यों में

कोई नहीं बच पाया

 दुनिया के प्रपंचों से |

आशा