ख्याल तेरा मेरे मन को छू गया
उलझा रहा मैं तुझ में ही
कितने ही जतन किये
बड़ी कठिनाई झेली |
न भूल पाया तुझको मैं
क्षण भर के लिए भी
तू मुझे विशिष्ट लगी
मन के लिए उपयुक्त लगी |
यही विशेषता तेरी मजबूरी बनी मेरी
की कोशिश भरसक पाने की तुझे
अपने दिल की रानी बनाने की ललक
फिर भी शेष रही मेरी |
तूने जो आदर सम्मान दिया मुझे
अपने मन को खोल न पाया मैं
आहिस्ता से नजरिया बदला मैंने
उसकी भनक न लगने दी किसी को |
बहुत बड़े कदाचार से बचाया मुझे
किया मैंने पश्च्याताप दिल से
अब कोई शिकायत नहीं होगी
किसी को भी मुझसे |
मैंने सत्य का मार्ग अपनाया
आत्म शोधन किया मैंने
भूले से भी उस राह पर न
पग रखने की कसम खाई मैंने |
जिसने मुझे बहकाया था
पहले अपना मनोबल भी खो दिया था
पर दृढ विश्वास पर अडिग रहा
अब पहले सी अस्थिरता नहीं मन में |
मुझे विश्वास है अपने पर
किसी सलाह की आवश्यकता नहीं
मुझे क्या करना है स्पष्ट है अपनी आँखों के समक्ष
उसी पर अडिग खड़ा हूँ |
आशा