मधुर धुन पक्षियों की
जब भी कानों में पड़ती
मन में मिठास घुलती मधुर स्वरों की
मन नर्तन करता मयूर सा |
जैसे ही भोर होती
कलरव उनका सुनाई देता अम्बर में
आसमान में उड़ते पंख फैला
अपनी उपस्थिति दर्ज कराते |
स्वर लहरी इतनी मधुर होती
आकर्षित करती अपनी ओर
खुशनुमा माहौल होता प्रकृति का
मन करता कुछ देर और ठहरने को |
घर जाने का मन न होता
बगिया में रुक हरियाली का मजा उठाता
आनंद में खो जाना चाहता
भूल जाता कितने काम करने को पड़े हैं |
जब यह ख्याल आता जल्दी से कदम उठाता
अपने आशियाने की ओर चल देता
अपने से वादा लेता समय का महत्व बताता
कल जल्दी ही यहाँ पहुंचना है समझाता |
आशा