आधे से अघिक से जीवन बीता
जिनको पूरा करने का वादा लिया खुद से |
पर ऐसा न हुआ वे पूर्ण न हो पाए
समय बीता इतनी जल्दी से
उसे पकड़ न पाए
हाथों से फिसली हो रेत जैसे |
झूठे वादे मुझे नहीं आते
जो वादाखिलाफी से मुझे बहकाते
रंगीन रातों के स्वप्न दिखाते
प्रातः के होते ही सूर्य रश्मियाँ
अटखेलियाँ करतीं हरे भरे वृक्षों से |
यदि उन कार्यों में मैं भी खो जाती
अपने वादे कैसे पूरे कर पाती
हूँ कैसी अब भी समझ में न आया
फिर कम से कम वादों की पूर्ती का वादा लिया
जिससे मन को वादा अपूर्ण
रहने का कष्ट न हो
जीवन का शेष समय जो बचा है
हाथ में वादा पूर्ति में पूरा हो |
कर्तव्य करने के बाद मैं
मुक्ति मार्ग पर चल पाऊँ
उन कार्यों का हाथ समय के साथ मिला पाऊँ
हींन भावना का शिकार न होना पड़े
अपना आत्म विश्वास फिर से पाऊँ
अपने मन की संतुष्टि पूर्ण कर पाऊँ |
आशा सक्सेना