उस ने की थी वफा
बदले में उसे क्या मिला ?
बेरंग जीवन की कटुता मिली
कंटकों की सौगात मिली
जब चाहे चोट पहुंचाई जिन ने
मन की तल्खियों के सिवाय
कुछ भी हांसिल नहीं हुआ |
यहीं हार और जीत का हुआ निराकरण
पर सही न्याय न मिल पाया
जीवन हारा सब प्रयत्नों को कर
धैर्य ने भी साथ न दिया उसका
मन विचलित हुआ सोचा
यह क्या किया ?
किसी मित्र ने भी सही सलाह न दी
अपनी सलाह पर कायम रहा |
उसे ही गलत ठहराया
यदि समय पर चेताया होता
यह दशा न होती मन की |
उसके मन को ठेस पहुंचाई
अब कुछ न हो पाएगा
वफा अधूरी ही रह जाएगी
जीवन हाथ मलता ही रह जाएगा
और कुछ भी नहीं मिल पाएगा |
आशा सक्सेना