कब तक कहाँ कैसे कितने
इतने सारे शब्द हैं जिन से
प्रारम्भ किया जा सकता है
स्रोत अभिलाशा का |
जिस से जब भी पूंछा जाता
यह प्रयोग कैसा लगा
वह थोड़ा सा मुस्कुरा देता
फिर अपना अभिमत देता |
अरे भाई सब से क्या पूंछना
जो भी लिखो दिल से लिखो
कभी पसंद न आने पर
उसे भूल जाओ सदा के लिए |
जब भूलना न चाहो
बार बार प्रयत्न करो
कभी तो सफलता मिलेगी
असफलता से भय कैसा |
यही तो कुंजी है सफलता की
मनोरथ को तरजीह दो
इसी से साहस आएगा
वही होगा सही
गलत का फैसला |
जितनी भी कोशिश करोगे
सफलता तक पहुंचोगे
चाहे समय कितना भी लगे
कभी हार न मानोंगे |
यही प्रतिफल होगा तुम्हारे यत्नों
का
जब किसी को अपनी रचना
सुनाओगे
वाह वाह की गूँज उठेगी
तुम्हें लगेगा तुमसा कोई
नहीं |