प्यारे से ये मूक प्राणी
सुख दुःख को समझते
बोल नहीं पाते फिर भी
पास आते अपना प्यार दर्शाते
|
किसी के दुःख में हो दुखी
भोजन तक छोड़
देते
पर खुशी में आसपास घूमते
रहते |
अपनी अदाओं से
मन मोहने की कोशिश करते
अपना स्थान घर में सुरक्षित रखते |
अपनी हरकतों से ध्यान
आकृष्ट करते
वे रूठना मनाना भी जानते
अपनी आवाजों से इसे व्यक्त करते
|
हर आहट पर अपनी प्रतिक्रया
देते
जैसे ही द्वार खुलता
वहां पहुँच आने वाले का
स्वागत करते
सूघ कर जान जाते
है कोई नया व्यक्ति या नहीं |
जब कोई काम करने आता
उसकी
निगरानी करना
अपना कर्तव्य समझते
जब तक वह चला न जाए
वही डटे रहते
मानो वे है
निरीक्षक उनके |
हैं समय के पावंद
किसी के
आने की प्रतीक्षा में
दरवाज़े पर जा बैठते जब तक वह न आजाए
राह देखते वही आने वाले मालिक की |
यदि आकर वह प्यार करना भूल जाए
अपनी भाषा में खुद की नाराजगी प्रकट करते |
उनके काम में हो देर यह पसंद नहीं उनको
हैं समय के पावंद सब काम समय पर करते
कितनी गुण गिनाऊँ उनके शब्द ही नहीं मिलते |
अपने अधिकार भी खूब जानते
अपनी कोई वस्तु किसी से नहीं बांटते
उन के जैसा कोई स्नेही नही
हमारा कोजी है उन में से एक |