कविता के कई रूप
बदल बदल कर आते
कोशिश की कुछ नया सीखने की
रही सदा असफल |
बार बार की कोशिशें जबअसफल रहीं
मन को संताप हुआ
फिर भी सीखना न छोड़ा
लगी रही सीखने में |
कोई लाभ न हुआ
असफलता के सिवाय
सारी कोशिश व्यर्थ हुई
नया सीखने की कोशिश
न करने की कसम खाई |
मन बड़ा संतप्त हुआ अपने को अक्षम पा
ठन्डे दिमाग से जब सोचा
सिखाने वाले का कोई दोष न दिखा
मान लिया कोई नई बात अपनाने की
अब सामर्थ्य नहीं मुझ में |
फिर भी लिखने का भूत
उतरा नहीं सर से
जब लिखती तब कोई थकान नहीं होती
नाही कोई कष्ट होता |
व्यस्त रहने में एक अपूर्व आनन्द आता
कुछ नया लिखने की कोशिश में
जब सफल हो जाती हूँ
सफलता को नजदीक पा कर
कुछ और नया लिखना चाहती हूँ |
आशा सक्सेना