18 मई, 2023

प्रथम गुरू को मेरा प्रणाम



मां ने दुलारा बहुत प्यार किया 

पर गलत बात पर बरजा 

मुझे अपनी गलती का एहसास कराया 

हर बात कायदे की सिखाई |

 कभी  न हो अधीर रहो धैर्य से 

यही शिक्षा दी माँ ने 

जिसने किया अलग

मुझको सब से |

ज ब रोना गाना मचाया मैंने 

गोद में ले कर समझाया मुझे 

शांत मन रहने को कहा |

इतनी शिक्षा दी मुझे

 तभी तो प्रथम गुरुं कहलाई 

|है मेरी माँ सब से  अलग 

उस जैसा  कोई नहीं है|

सदा उसकी छाया  में रहूँ

 दिल मेरा यही चाहता 

प्रथम गुरुं को मेरा दिल से प्रणाम 

यही मेरा मन कहता  |

आशा सक्सेना 

17 मई, 2023

था कभी यहीं घर था मेरा



 


 था घर किसी का यहीं पर

बड़ा सा दरवाजा था

लोग ठहर जाते थे

 उसकी भव्यता देख |

 आज है वीरान उजड़ा

सारी रौनक तिरोहित हो गई है

काली गाय दिखाई नहीं देती

नाही पीली कुत्ती का ठिकाना |

वे क्यों ठहरते अब कोई उनकी

परवाह नहीं करता

नाही लाड दुलार करता

ना समय पर खाना देता |

अंदर झाँक कर देखा

वस्तुएं सभी उथल पुथल

कोई देखता तो समझता

है कितना कठिन अकेले जीना |

दरवाजे पर एक बुजुर्ग बैठे खांस रहे थे

अकेले जीवन ढो रहे थे

एक भी व्यक्ति ऐसा ना था

 जो सुख दुःख का साथी होता |

भर आईं मेरी आँखे

घर के ये हाल देख

सोचा जाकर याद दिलाऊँ

 मैं अब आ गई हूँ कहीं नही जाऊंगी |

मैंने भी जमाने की ठोकरे खाई है

यहां तक आते आते

 कितनी कठिनाई झेली हैं

शायद मेरे प्रारब्ध में यही लिखा था  |

अब सीधी राह मिल पाई है

मुझे ख़ुशी है मै ठीक से आ गई हूँ

अपने जीवन के प्रांगन मै

अब कोई गलत राह ना  पकडूगी|

आधा जीवन तो बीत गया

थोडा सा अभी बाक़ी है

 उसे हरी नाम ले बिताऊँगी

अपना जीवन सफल करूंगी |

आशा सक्सेना 

16 मई, 2023

जिन्दगी एकतारे जैसी




 मेरी  जिन्दगी एक तारबाध्य सी 

 जब तक बजता एकतारा   बहुत मधुर लगता है

पर जैसे ही तार टूट जाता है

जीवन  भी धोका देता है |

जिस पर नाज सारी दुनिया करती

 यदि रास्ता बदले सड़क टूटी हो

आगे बढ़ नहीं पाते

यही से कठिनाई शुरू हो जाती है |

जितना रास्ता पार करना होता

वही पूर्ण नहीं हो पाता

 तमाम चोटें पैर सहते मन भी आहत होता

खुशी तिरोहित हो जाती है |

जीवन में जब तार जुड़ जाते

तार स्वर में लाए जाते

यही सिलसिला फिर से प्रारम्भ होने लगता

स्वर से स्वर मिलते मधुर धुन सुनाई देती

मन की अशांती फिर गुम हो जाती |

वही मधुर धुन जब कानों में पड़ती

जीवन खुशरंग हो जाता |

आशा सक्सेना

 

15 मई, 2023

कविता के रूप अनूप


 कविता के रूप अनूप मुझे बहुत लुभाते 
सुनते ही मन में खुशी बढाते 

जब तक पूरी ना  हो कोई सुन नहीं पाता

जब तक नया रूप ना हो आनंद नहीं आता 

कोई  सुनना नहीं चाहता |

कहने को तो कुछ नहीं कविता लिखने में 

सतही अर्थ समझने में 

पर गूढ़ अर्थ समझना आसान नहीं होता 

जिसके अनुभव होते गहन

 वे पूरी तरह उसे  आत्म सात करते 

पूर्ण आनंद  लेते यही विशेषता होती जब 

लिखना सार्थक हो जाता

श्रोता वक्ता जब एक दूसरे को समझ पाते 

कवि सम्मेलन का आनन्द ही कुछ और होता  |

आशा सक्सेना 

14 मई, 2023

जीवन की शाम

 

अथाह सागर है,किनारा दिखाई नहीं देता 

बड़ी बड़ी लहरे किनारे पर

जो भी  साथ बहता , बहता ही जाता

समुद्र के बीच तक , किनारा ना खोज पाता

आखिर वह  घड़ी भी आती

जब भव सागर में वह डूब जाती 

सब का अंत होने का यही है तरीका

शरीर छूटते ही सभी समाप्त हो जाता |

माया मोह नहीं रहता,सभी यहीं रह जाता

इसी दुनिया में खाली हाथ आए थे

अब खाली हाथ चल दिए ,कुछ साथ नहीं जाता

हमारे कर्मों को ही ,याद किया जाता  |

यदि कर्म कुछ अच्छे रहे ,जीवन समाप्ति के बाद भी

समय समय पर ,याद किया जाएगा उन्हें

 बरसों तक खाली स्थान ,भर ना  पाएगा

यही बात है असाधारण ,दुनिया यूँ ही  चलती है |

आशा सक्सेना  


13 मई, 2023

मन चाहे कितनी भी मनमानी करे






                                                                    मन चाहे कितनी भी

 मनमानी करे 

जीते हारे अपने विचारों में 

यह कोई अच्छी बात नहीं |

समाज में रहने से 

उसके अनुकूल चलने से 

कुछ तो सीखने को मिलता है |

कोई फैक  नहीं देता 

अपने विचारों को कुछ तो

समाज  मान्यता देता है 

धीरे धीरे प्रगति की और 

अपने आप  कदम  

बढ़ने लगते हैं

 यही क्या कम है|

आशा सक्सेना 

12 मई, 2023

किसी को मत तोलो एक ही तराजू से


 किसी को मत तोलो  एक ही तराजू ने 

सब का स्वभाव कभी एक सा नहीं होता 

कभी दो लोग सामान नहीं होते

 इस लिए भी उनके आचार विचार होतेहैं भिन्न |

उनको कितना भी तराशा जाए

 कभी पूर्ण  हो ही नही पाते 

जो चाहिए वे गुण उसके व्यक्तित्व में

 आ ही नहीं सकते  जिससे की जा सके कोई उम्मीद 

|मन को बहुत पीड़ा होती है उसके व्यबहार  से 

क्या सोचा था और क्या पाया 

अब जान लिया है इसी लिए 

अपने विचार को नियंत्रण  में रखा है |

आशा सक्सेन